PLI स्कीम का असर, टेलीकॉम उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग सेल्स 50,000 करोड़ रुपये के पार

सरकार के मुताबिक, भारतीय मैन्युफैक्चरर्स वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर पा रहे हैं और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अच्छे उत्पाद अपने निवेशकों को बेच रहे हैं.

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पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) को शुरू हुए करीब तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं.
नई दिल्ली:

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (Production Linked Incentive Scheme) के तहत घरेलू स्तर पर बने टेलीकॉम उपकरणों की बिक्री 50,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है. इससे 17,800 डायरेक्ट जॉब्स और कई इन-डायरेक्ट जॉब्स पैदा हुई हैं. सरकार की ओर से बुधवार को यह जानकारी दी गई. टेलीकॉम डिपार्टमेंट की ओर से कहा गया कि टेलीकॉम सेक्टर (Telecom Sector) में पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) को शुरू हुए करीब तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं.

इस दौरान टेलीकॉम सेक्टर में करीब 3,400 करोड़ रुपये का निवेश देखने को मिला है. ऐसे में 50,000 करोड़ रुपये (10,500 करोड़ रुपये के निर्यात सहित) का आंकड़ा एक माइलस्टोन है.

टेलीकॉम और नेटवर्किंग कंपनियों की बिक्री में 370% का इजाफा

वहीं, पीएलआई स्कीम का फायदा लेने वाली टेलीकॉम और नेटवर्किंग कंपनियों की बिक्री में वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 में 370 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, देश के टेलीकॉम के आयात-निर्यात के बीच अंतर भी कम हुआ है. वित्त वर्ष 2023-24 में टेलीकॉम उपकरण और मोबाइल मिलाकर 1.49 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है, जबकि इस दौरान 1.53 लाख करोड़ रुपये का आयात हुआ है.

वित्त वर्ष 2023-24 में 33 करोड़ यूनिट्स का उत्पादन

2014-15 में भारत को बड़े मोबाइल आयातकों में गिना जाता था और केवल 5.8 यूनिट्स का ही उत्पादन किया जाता था और 21 करोड़ यूनिट्स आयात किए जाते थे. वित्त वर्ष 2023-24 में 33 करोड़ यूनिट्स का उत्पादन किया गया है, जबकि केवल 0.3 करोड़ यूनिट्स का ही आयात किया गया है. वहीं, 5 करोड़ यूनिट्स का निर्यात किया गया है.

2014-15 में भारत का मोबाइल एक्सपोर्ट 1,556 करोड़ रुपये और 2017-18 में 1,367 करोड़ रुपये था, जो कि अब 2023-24 में बढ़कर 1,28,982 करोड़ रुपये हो गया है.सरकार ने बताया कि 2014-15 में 48,609 करोड़ रुपये के मोबाइल फोन का आयात होता था, जो कि 2023-24 में 7,665 करोड़ रुपये पर आ गया है.

पीएलआई स्कीम के जरिए टेलीकॉम सेक्टर में निवेश बढ़ा

सरकार के मुताबिक, भारतीय मैन्युफैक्चरर्स वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर पा रहे हैं और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अच्छे उत्पाद अपने निवेशकों को बेच रहे हैं. पिछले पांच वर्षों में टेलीकॉम में व्यापार घाटा (टेलीकॉम उपकरण और मोबाइल मिलाकर) 68,000 करोड़ रुपये से घटकर 4,000 करोड़ रुपये रह गया है. पीएलआई स्कीम के जरिए इस सेक्टर में निवेश आ रहा है और टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है.

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