PM मुद्रा योजना से तमिलनाडु के सतीश ने फर्नीचर व्यवसाय को दी नई उड़ान, जानें कैसे

बता दें कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण वित्तीय पहल है, जिसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सस्ता और आसान ऋण प्रदान करना है

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छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को ऋण देकर प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए बनाई गई भारत सरकार की प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत तमिलनाडु के अवाडी स्थित एक फर्नीचर दुकान के मालिक सतीश ने कम ब्याज पर ऋण लेकर अपने व्यवसाय को बेहतरीन मुकाम पर पहुंचा दिया है. सतीश अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए तीन किश्तों में 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपये से अधिक तक कर्ज ले चुके हैं. 

सतीश ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से एक छोटी फर्नीचर की दुकान चला रहे थे, लेकिन वित्तीय समस्याओं के कारण अपने व्यवसाय का विस्तार नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने कई बार बैंकों से ऋण प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली हालांकि, जब उन्हें पीएमएमवाई योजना के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने इस योजना का लाभ उठाने का फैसला किया. इसके बाद उन्हें कम ब्याज दर पर ऋण मिल गया, जो उनके व्यवसाय के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ.

सतीश ने कहा कि उन्होंने शुरू में 50,000 रुपए का ऋण लिया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया. वर्तमान में उन्होंने पीएमएमवाई योजना के माध्यम से 2 लाख रुपए का ऋण प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि इस ऋण से मैंने अपने व्यवसाय का विस्तार किया और अब अधिक ग्राहक सेवा प्रदान कर पा रहा हूं. सतीश ने योजना का लाभ उठाने के बाद अपनी सफलता के बारे में बताते हुए कहा कि यह योजना छोटे व्यवसायों के लिए बहुत सहायक साबित हो रही है और उन्होंने अन्य छोटे व्यवसाय के मालिकों को भी इस योजना का लाभ उठाने की सलाह दी.

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बता दें कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण वित्तीय पहल है, जिसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सस्ता और आसान ऋण प्रदान करना है. यह योजना 8 अप्रैल 2015 को लॉन्च की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य छोटे उद्यमियों जैसे दुकानदारों, कारीगरों, और स्वरोजगार करने वालों को अपने व्यवसाय को शुरू करने या विस्तार करने के लिए वित्तीय सहायता देना है. इस योजना के तहत ऋण की तीन श्रेणियां हैं: शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक), और तरुण (5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक). इस योजना के लाभार्थी गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि क्षेत्र के छोटे उद्यमी हो सकते हैं. जैसे फल-सब्जी विक्रेता, सिलाई करने वाले, छोटे निर्माता और सेवा क्षेत्र से जुड़े लोग. ऋण बैंकों, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रदान किया जाता है, और इसके लिए आमतौर पर कोई संपार्श्विक की आवश्यकता नहीं होती. इसके साथ ही, लाभार्थियों को एक मुद्रा कार्ड भी जारी किया जाता है, जिसका उपयोग वे अपनी ऋण राशि को निकालने और अपने व्यवसाय की जरूरतों के लिए कर सकते हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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