SEBI के एक्शन से F&O सेगमेंट में आधी रह जाएगी ट्रेडिंग वॉल्यूम, 50 -60% ट्रेडर्स के बाजार से बाहर होने की उम्मीद

बाजार नियामक द्वारा अब इंडेक्स डेरिवेटिव में कॉन्ट्रैक्ट साइज की न्यूनतम वैल्यू को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है. साथ ही साप्ताहिक एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक इंडेक्स तक सीमित कर दिया है.

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SEBI ने Futures and Options (F&O) के नियमों को सख्त कर दिए हैं.
नई दिल्ली:

भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की ओर से डेरिवेटिव्स यानी फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (F&O)  को लेकर बनाए गए नए नियमों के लागू होने के बाद एफएंडओ सेगमेंट में ट्रेडिंग वॉल्यूम आधी हो सकती है. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि वॉल्यूम में 50 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा रही है, क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ने के बाद 50 से 60 प्रतिशत ट्रेडर्स के बाजार से बाहर होने की उम्मीद है.

सूत्रों ने बताया कि अगर नए नियम लागू होने के बाद डेरिवेटिव्स मार्केट की वॉल्यूम में कोई बदलाव नहीं आता है तो सेबी आगे भी एक्शन ले सकता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सेबी के एक्शन से फ्यूचर्स और ऑप्शन का औसत ट्रेड साइज वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 20,000 रुपये पर पहुंच सकता है, जो कि फिलहाल 5,500 रुपये पर है. सेबी ने बीते मंगलवार को एफएंडओ के नियमों को सख्त कर दिया गया था.

बाजार नियामक द्वारा अब इंडेक्स डेरिवेटिव में कॉन्ट्रैक्ट साइज की न्यूनतम वैल्यू को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है. साथ ही साप्ताहिक एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक इंडेक्स तक सीमित कर दिया है. ऐसे में अब एक एक्सचेंज की ओर से सप्ताह में एक ही एक्सपायरी देखने को मिलेगी.

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सेबी की ओर से यह कदम रिटेल निवेशकों द्वारा डेरिवेटिव सेगमेंट में लगातार किए जा रहे नुकसान के कारण लिया गया है. हाल ही में बाजार नियामक द्वारा एक स्टडी जारी की गई थी. इसमें बताया गया था कि बीते तीन वर्षों में एफएंडओ सेगमेंट में 1.10 करोड़ ट्रेडर्स को संयुक्त रूप से 1.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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इसमें से केवल 7 प्रतिशत ट्रेडर्स ही पैसा कमाने में सफल हुए हैं. इसके कारण बाजार से जुड़े कई लोगों ने एफएंडओ नियमों को सख्त बनाने की बात कही थी. डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के नए नियम 20 नवंबर, 2024 से लागू हो जाएंगे.

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