- SBI रिसर्च के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में 7.5% की वास्तविक GDP ग्रोथ का अनुमान है
- त्योहारी बिक्री में तेज वृद्धि और जीएसटी दरों में कटौती इस आर्थिक वृद्धि का मुख्य कारण माना जा रहा है
- निवेश में तेजी, गांवों में खपत बढ़ने और सर्विस-मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूती से इस ग्रोथ को सहारा मिला है
देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत या उससे अधिक रहने की उम्मीद है. इसका मुख्य कारण सितंबर के अंत में जीएसटी दरों में कटौती के कारण त्योहारी बिक्री में तेज वृद्धि है. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह बात कही गई.
रिपार्ट में कहा गया है कि निवेश गतिविधियों में बढ़ोतरी, गांवों में खपत बढ़ने और सर्विस व मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से इस ग्रोथ को मजबूती मिल रही है. जीएसटी को युक्तिसंगत बनाये जाने जैसे सुधारों से भी इसमें मदद मिल रही है. इससे त्योहारों के दौरान डिमांड को रफ्तार मिली और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ा है.
त्योहारी बिक्री के साथ ही इन क्षेत्रों में तेजी
एसबीआई की आर्थिक शोध विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि त्योहारों के दौरान बिक्री के अच्छे आंकड़ों के अलावा कृषि, उद्योग और सेवाओं में खपत व मांग में तेजी दिखाने वाले प्रमुख संकेतकों का प्रतिशत दूसरी तिमाही में बढ़कर 83 प्रतिशत हो गया, जो पहली तिमाही में 70 प्रतिशत था. अनुमानित मॉडल के आधार पर वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में लगभग 7.5 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ का अनुमान है. इसमें और वृद्धि की भी गुंजाइश है.
सरकार इस महीने के अंत में जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए जीडीपी आंकड़े जारी करेगी. भारतीय रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही के लिए 7 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है. एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषण से संकेत मिलता है कि नवंबर के लिए सकल घरेलू माल एवं सेवा कर का कलेक्शन लगभग 1.49 लाख करोड़ रुपये हो सकता है, जो सालाना आधार पर 6.8 प्रतिशत अधिक है.
GST कलेक्शन 2 लाख करोड़ के पार संभव
इसके साथ 51 हजार करोड़ रुपये के आईजीएसटी और आयात पर उपकर के साथ, नवंबर का जीएसटी संग्रह दो लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. इसका कारण कम जीएसटी दर के कारण त्योहारों के दौरान मांग का अधिक रहना है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि त्योहारों सीजन (सितंबर-अक्टूबर) के दौरान जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने से खपत में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है. इसका पहला संकेत क्रेडिट और डेबिट कार्ड खर्च के विश्लेषण से मिलता है.
क्रेडिट कार्ड से खरीदारी में बंपर इजाफा
क्रेडिट कार्ड से वाहन, किराना स्टोर, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्निशिंग और यात्रा जैसी व्यापारिक श्रेणियों में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भारी वृद्धि का संकेत मिला है. लगभग 38 प्रतिशत खर्च जन-उपयोगी और सेवाओं पर हुआ है. इसके बाद सुपरमार्केट और किराना पर 17 प्रतिशत और यात्रा एजेंट की हिस्सेदारी लगभग नौ प्रतिशत रही.
शहरों के हिसाब से क्रेडिट कार्ड खर्च से पता चलता है कि डिमांड वैसे तो सभी क्षेत्रों में बढ़ी है, लेकिन मझोले शहरों में सबसे अधिक मांग बढ़ रही है. ई-कॉमर्स की बिक्री सभी शहरों में काफी हद तक सकारात्मक रही है.
डेबिट कार्ड से सामान खरीदने वाले भी बढ़े
रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाये जाने के साथ, इस साल सितंबर-अक्टूबर में बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में सभी प्रमुख राज्यों में डेबिट कार्ड खर्च में भी बढ़ोतरी दिखी है.
एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का वृहद आर्थिक दृष्टिकोण सतर्क रुख के साथ संभावनाओं वाला बना हुआ है. इसका कारण मजबूत घरेलू मांग और कम होता मुद्रास्फीतिक दबाव है.
इस वृद्धि को मजबूत निवेश गतिविधियों, ग्रामीण खपत में सुधार और सेवाओं एवं विनिर्माण में तेजी से समर्थन मिल रहा है. जीएसटी 2.0 सुधारों से निजी खपत और घरेलू मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.














