बजट 2024 : निर्यात की अच्‍छी रफ्तार, लेकिन चुनौतियां बरकरार; जानें एक्सपोर्टर्स की वित्त मंत्री से क्‍या हैं उम्‍मीदें

मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 200 अरब डॉलर से ज्‍यादा का निर्यात हुआ है. यह जो एक रिकॉर्ड है. बजट पेश होने से पहले आइए जानते हैं कि एक निर्यातक को बजट से क्‍या उम्‍मीदें हैं.

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नई दिल्‍ली:

देश में निर्यात सेक्टर (Export Sector) अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. सोमवार को कॉमर्स मिनिस्ट्री ने आंकड़े जारी कर कहा कि पहली बार किसी वित्तीय साल की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच कुल निर्यात 200 अरब डॉलर से भी ज्यादा हुआ है, जो एक रिकॉर्ड है. हालांकि निर्यात के मोर्चे पर कई मोर्चों पर चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं. अब निर्यातक बजट 2024 (Budget 2024) में एक स्पेशल रिलीफ और इंसेंटिव पैकेज का इंतजार कर रहे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 23 जुलाई को संसद में बजट पेश करेगी. 

मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में अप्रैल से जून के बीच 200 अरब डॉलर से ज्‍यादा का एक्सपोर्ट हुआ है, जो एक रिकॉर्ड है. संसद में बजट पेश होने के करीब एक हफ्ते पहले कॉमर्स मिनिस्ट्री द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून 2024 में कुल 200.33 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट (व्‍यापारिक सामान और सेवा ) हुआ है, जो पहली तिमाही में अब तक का सबसे ज्‍यादा है. 

अप्रैल-जून, 2023 के मुकाबले इस साल की पहली तिमाही में कुल एक्सपोर्ट 8.60 % तक बढ़ गया है. जून 2023 के मुकाबले जून 2024 में भी एक्सपोर्ट 5.40% बढ़ गया. वहीं जून 2024 में व्यापारिक निर्यात में भी वृद्धि दर्ज की गई है. जून 2024 में सबसे ज्‍यादा बढ़ोतरी इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक सामान, ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स, कॉफी और जैविक और गैरजैविक रसायन शामिल हैं. 

राहत पैकेज का ऐलान जरूरी होगा : गर्ग 

निर्यात बढ़ रहा है, लेकिन कुछ एक्सपोर्ट सेक्टर में चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं. कार्पेट निर्यातक ओपी गर्ग पिछले कई दशक से यूरोप और दुनिया के कई बड़े देशों में कार्पेट का निर्यात कर रहे हैं. एनडीटीवी से बातचीत में गर्ग ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता अब भी है, बजट में राहत पैकेज का ऐलान करना जरूरी होगा. 

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गर्ग से पूछा गया कि अंतरराष्‍ट्रीय अर्थव्यवस्था के हालात बेहतर हो रहे हैं और क्या रूस-यूक्रेन और इजराइल-गाजा युद्ध के असर से कार्पेट निर्यात क्षेेत्र रिकवर कर चुका है तो उन्होंने कहा, "नहीं, कार्पेट एक हाई वैल्यू आइटम है. निर्यात का खर्च भी बढ़ गया है. 2019 के बाद हमारी एक्‍सपोर्ट यूनिट में कार्पेट सेलेक्ट करने के लिए एक भी अंतरराष्‍ट्रीय कस्टमर नहीं आए हैं." 

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साथ ही उन्‍होंने कहा, "यूरोप का एक भी स्टोर लड़ाई की वजह से कार्पेट नहीं खरीदना चाहता है, क्योंकि उन्हें नहीं पता की युद्ध का आगे क्या होगा. अनिश्चितता की वजह से हमारी इंवेंट्री बढ़ रही है. कोरोना संकट के दौरान सरकार ने आसान क्रेडिट की सुविधा दी थी. उनके री-पेमेंट की अवधि 3 साल से बढ़ाकर 6 साल की जाए. हमें बजट 2024 में रिलीफ चाहिए. बैंक के दबाव की वजह से हम एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं".  

60 लाख लोगों को रोजगार देने वाला क्षेत्र 

कार्पेट और हैंडीक्रॉफ्ट/कॉटेज इंडस्ट्री रोजगार के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. इसमें करीब 60 लाख लोगों को रोजगार मिलता है. एक्सपोर्टर चाहते हैं कि इस सेक्टर को पुनर्जीवित करने के दूरगामी परिणाम होंगे. 

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कार्पेट एक्सपोर्टर ओपी गर्ग कहते हैं, "कार्पेट इंडस्ट्री में 20 लाख और हैंडीक्रॉफ्ट इंडस्ट्री में 40 लाख लोगों को रोजगार मिलता है. 4 राज्यों में कृषि के बाद हैंडीक्रॉफ्ट सेक्टर रोजगार के दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्‍मू-कश्मीर और हरियाणा में शहर के शहर हैंडीक्रॉफ्ट इंडस्ट्री के इर्दगिर्द बसे हैं. लड़कियों और महिलाओं को मिलने वाला रोजगार इस सेक्टर में काफी बढ़ गया है. इसे बजट में सपोर्ट किया जाता है तो इन राज्यों में ग्रामीण परिवारों की कमाई भी बढ़ेगी."  

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