IPO से पहले NSE में रिटेल निवेशकों की संख्या बढ़कर 1.46 लाख हुई, कुल शेयरहोल्डर्स 1.59 लाख के पार

NSE IPO Update: अप्रैल 2025 में जहां NSE का शेयर 1,650 रुपये था, वहीं अब यह लगभग 36% की तेजी के साथ 2,225 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.

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NSE  शेयरहोल्डर्स की संख्या के लिहाज से अब भारत की सबसे बड़ी अनलिस्टेड कंपनी बन गई है.
नई दिल्ली:

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange - NSE) के अनलिस्टेड शेयरों को लेकर छोटे निवेशकों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है. जून तिमाही (FY26 Q1) में NSE के ग्रे मार्केट में 1.46 लाख रिटेल निवेशक जुड़ चुके हैं, जो किसी भी भारतीय कंपनी के लिए अब तक का रिकॉर्ड है.

2 लाख से कम निवेश वालों की संख्या 4 गुना बढ़ी

जिन निवेशकों ने NSE के अनलिस्टेड शेयरों में 2 लाख रुपये से कम का निवेश किया है, उनकी संख्या मार्च तिमाही के 33,896 से सीधे चार गुना से भी ज्यादा की बढ़त के साथ 1.46 लाख पहुंच गई है. ये डेटा NSE की वेबसाइट पर मौजूद शेयरहोल्डिंग से सामने आया है.

वहीं, जिनके पास 2 लाख से ज्यादा की हिस्सेदारी है, उनकी संख्या 354 से घटकर 343 हो गई है.

शेयर प्राइस में 36% की उछाल, मार्केट वैल्यू टॉप 10 में पहुंची

जैसे-जैसे रिटेल डिमांड बढ़ी, वैसे-वैसे NSE के अनलिस्टेड शेयर की कीमत भी चढ़ती गई.अप्रैल 2025 में जहां NSE का शेयर 1,650 रुपये था, वहीं अब यह लगभग 36% की तेजी के साथ 2,225 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.

अगर NSE लिस्टेड होता, तो इसकी मार्केट वैल्यू 5.7 लाख करोड़ रुपये होती और यह Nifty 50 में 8वीं या 9वीं सबसे बड़ी कंपनी बन जाती.

कुल शेयरहोल्डर्स की संख्या अब 1.59 लाख के पार

निवेशकों की कुल संख्या अब 1.59 लाख को पार कर गई है, जो पिछले क्वार्टर में 39,201 थी. यानी NSE  शेयरहोल्डर्स की संख्या के लिहाज से अब भारत की सबसे बड़ी अनलिस्टेड कंपनी बन गई है.

हालांकि, 2 रुपये लाख से कम निवेश करने वाले रिटेल निवेशकों की कुल हिस्सेदारी में हल्की गिरावट आई है. मार्च तिमाही में इनकी हिस्सेदारी 9.84% (23.86 करोड़ शेयर) थी, जो अब घटकर 9.52% (23.56 करोड़ शेयर) हो गई है. इसके उलट, 2 लाख रुपयेसे  ज्यादा निवेश वालों की हिस्सेदारी 9.89% से बढ़कर 11.81% हो गई है.

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FII ने बेचे शेयर, लेकिन LIC-SBI और दमानी ने बनाई पकड़

इस तिमाही में विदेशी निवेशकों (FIIs) ने NSE के 5,870 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए. लेकिन देश की बड़ी घरेलू संस्थाएं जैसे कि एलआईसी (LIC), एसबीआई (SBI), राधाकिशन दमानी, और सरकारी बीमा कंपनियां जैसे GIC, New India Assurance, National Insurance, और Oriental Insurance ने अपनी हिस्सेदारी बनाए रखी.

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