भारत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग को लेकर दुनिया भर में बना रहा एक नई पहचान, 'मेक इन इंडिया' पहल का असर

चीन से निर्भरता घटाने के साथ कंपनी भारत में आईफोन निर्माण का विस्तार कर रही है. भारत में पहली बार नई आईफोन 16 सीरीज बनाई जा रही है, जिसमें प्रो और प्रो मैक्स मॉडल शामिल होंगे.

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रत में पहली बार नई iPhone 16 सीरीज बनाई जा रही है
नई दिल्ली:

भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को 'मेक इन इंडिया' पहल के साथ ग्लोबल पहचान मिल रही है. सैमसंग और एप्पल जैसी बड़ी कंपनियां भारत में अपनी फैक्ट्रियां सेटअप कर रही हैं.इसके साथ ही भारत दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन निर्यातक देश के रूप में अपनी पहचान बना रहा है. सैमसंग की नोएडा स्थित फैक्ट्री और एप्पल के तमिलनाडु स्थित आईफोन उत्पादन केंद्र भारत को टेक मैन्युफैक्चरिंग का मुख्य खिलाड़ी बनने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.

सैमसंग ने नोएडा में दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाया है. इस प्लांट के साथ कंपनी ने अपने उत्पादन की क्षमता को सालाना 68 मिलियन से 120 मिलियन यूनिट तक बढ़ा लिया है. यह फैक्ट्री सैमसंग की 'मेक फॉर वर्ल्ड' रणनीति का हिस्सा है.

इस रणनीति के तहत कंपनी भारत ही नहीं, दूसरे देशों में भी फोन उत्पादन की योजना पर काम कर रही है. भारतीय ग्राहकों की जरूरतों को समझते हुए, उन्हें पूरा करने के लिए कंपनी लोकल रिसर्च और डेवलपमेंट पर ध्यान दे रही है. लोकल विशेषज्ञता के साथ वैश्विक लक्ष्यों का यह मिश्रण भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रहा है.

एप्पल भी अपनी मैन्युफैक्चरिंग रणनीतियों को बदल रहा है. चीन से निर्भरता घटाने के साथ कंपनी भारत में आईफोन निर्माण का विस्तार कर रही है. भारत में पहली बार नई आईफोन 16 सीरीज बनाई जा रही है, जिसमें प्रो और प्रो मैक्स मॉडल शामिल होंगे.

इस आईफोन सीरीज को भारत में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में फॉक्सकॉन की फैसिलिटी में असेंबल किया जाएगा. इन एडवांस टूल्स को असेंबल करने के लिए कई भारतीय श्रमिकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है. यह एपल की सप्लाई चेन में भारत की बढ़ती महत्ता को दर्शाता है.

भारत की मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री मेक इन इंडिया पहल की सफलता को दर्शाती है. सैमसंग और एप्पल जैसी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां न केवल भारत में रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं, बल्कि भारत के तकनीकी कौशल और निर्यात क्षमताओं में भी सुधार हो रहा है.

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विदेशी निवेश बढ़ने के साथ भारत आयात पर निर्भर रहने के बजाय वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बन रहा है. यह बदलाव भारत को आत्मनिर्भर बनाने की राह आसान कर रहा है. साथ ही वैश्विक तकनीकी उद्योग में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है.

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