- भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2022-23 में पिछले वर्ष से 25 प्रतिशत अधिक कमाई की है
- रेल मंत्रालय का कुल व्यय वित्त वर्ष 2022-23 में पिछले वर्ष से 11 प्रतिशत बढ़ा है
- रेलवे के व्यय का अधिकतर हिस्सा कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और पट्टे पर लिए गए कोच के किराये पर खर्च हुआ है
Indian Railway CAG Report: भारतीय रेलवे ने पिछले कुछ सालों में लगातार अपना विस्तार किया है, आज कश्मीर से लेकर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों तक ट्रेन पहुंच रही है. अब रेलवे की कमाई को लेकर भी एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि रेलवे की कमाई में बंपर इजाफा हुआ है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2022-23 में 2,39,982.56 करोड़ रुपये कमाए जो उसके एक साल पहले की तुलना में 25.51 प्रतिशत ज्यादा है.
CAG ने जारी की रिपोर्ट
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, रेल मंत्रालय का कुल खर्चा 4,41,642.66 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 11.34 प्रतिशत ज्यादा है. इसमें 2,03,983.08 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय और 2,37,659.58 करोड़ रुपये राजस्व व्यय शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे के कुल व्यय का 72.22 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और पट्टे पर लिए गए कोच/इंजन के किराया भुगतान पर हुआ. कैग ने कहा कि रेलवे के माल भाड़े में कोयले की हिस्सेदारी 50.42 प्रतिशत रही.
घाटे की ऐसे हुई भरपाई
CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में 2,517.38 करोड़ रुपये का सरप्लस दर्ज किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में उसे 15,024.58 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. हालांकि यात्री परिचालन में हुए 5,257.07 करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई माल ढुलाई के लाभ से पूरी की गई.
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इन चीजों में अनियमितता
कैग ने रेलवे के उत्तर पश्चिम, दक्षिण पूर्व मध्य और दक्षिण पश्चिम रेलवे खंडों के कुछ बजट और लेखा नियंत्रण मामलों में अनियमितताओं की भी ओर इशारा किया, जिसमें बंद हो चुकी परियोजनाओं के मद में धन आवंटन और अनुमानों से अधिक खर्च शामिल हैं. रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही रेलवे की वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इसमें शंटिंग फीस, ठेकेदारों से वसूली नहीं करने और लाइसेंस फीस में कम वसूली जैसी चीजें शामिल हैं.
कुछ हफ्ते पहले सीएजी की ही रिपोर्ट में यात्रियों की सुरक्षा से समझौते की बात भी कही गई थी. जिसमें बताया गया था कि इंटरनल कोच फैक्ट्री ने नीलगिरि माउंटेन रेलवे के लिए खराब डिब्बे बनाने और उन्हें मंजूरी देने का काम किया, जिससे यात्रियों की सुरक्षा में समझौता हुआ.