- भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले भाग पर बातचीत के लिए अमेरिकी टीम दिल्ली में है.
- अब तक भारत और अमेरिका के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है और मंगलवार को फिर से वार्ता होगी.
- अमेरिकी अधिकारियों का भारत दौरा टैरिफ को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की कोशिश माना जा रहा है.
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) के पहले भाग पर बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी ट्रेड वार्ताकारों की एक टीम भारत पहुंच गई है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों की मंगलवार को भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत होगी. अब तक भारत और अमेरिका के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है. अमेरिकी अधिकारियों का भारत दौरा ट्रंप टैरिफ को लेकर दोनों देशों के बीच उठे तनाव को कम करने की भी एक कोशिश माना जा रहा है.
इस वार्ता के दौरान अमेरिकी टीम के साथ सभी लंबित मुद्दों पर भारत की चर्चा होगी. इस दौरान कुछ मुद्दे राजनयिक दायरे में होने की वजह से विदेश मंत्रालय भी इसमें शामिल है. अमेरिका के साथ भारत की व्यापार वार्ता अब सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रही है. कई स्तरों पर दोनों ही देशों के बीच राजनयिक और मुख्य वार्ता चल रही है. इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले भाग को इस साल अक्टूबर/ नवंबर तक फाइनल करने का एक कमिटमेंट किया था. माना जा रहा है कि द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए इस प्रस्तावित ट्रेड डील से भारत को काफी फायदा होगा
द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति बनी तो क्या होगा?
नीति आयोग के सदस्य और अर्थशास्त्री, डॉ. अरविंद विरमानी मानते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट के पहले चरण पर अगर सहमति बनती है तो इससे भारत को एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित करने में काफी मदद मिलेगी, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और इलेक्ट्रिकल इक्यूपमेंट सेक्टर में अमेरिका और यूरोपीय देश बड़ी मात्रा में मैन्युफैक्चर गुड्स का आयात करते हैं.
भारत में जिस तरह से मोबाइल फोन की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है और एप्पल कंपनी ने आईफोन का प्रोडक्शन बेस भारत में बनाया है, यह इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है. इस समझौते से अमेरिका को चीनी बाजार पर निर्भरता को कम करने में भी मदद मिलेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिका के लिए भारत एक वैकल्पिक मार्केट के तौर पर उपलब्ध होगा.