भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार (India-UK Free Trade)में आने वाले सालों में जबरदस्त बढ़त देखी जा सकती है. CARE Ratings की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) के लागू होने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 2030 तक हर साल करीब 15% की ग्रोथ हो सकती है.
यह FTA दोनों देशों के बीच तीन साल की बातचीत के बाद 6 मई 2025 को पूरा हुआ और उम्मीद है कि इसे एक साल के भीतर लागू कर दिया जाएगा.
भारतीय कंपनियों को मिलेगा बड़ा फायदा
CARE Ratings के एसोसिएट डायरेक्टर डी नवीन कुमार ने बताया कि यह एफटीए न सिर्फ निवेश और जॉइंट वेंचर को बढ़ावा देगा, बल्कि सेवा क्षेत्र में सहयोग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी मजबूती देगा. इससे भारतीय कंपनियों को यूके के बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का मौका मिलेगा और देश की आर्थिक ग्रोथ को भी सपोर्ट मिलेगा.यह समझौता भारत-यूके के आर्थिक रिश्तों में एक पॉजिटिव बदलाव लेकर आएगा और व्यापार के नए रास्ते खोलेगा.
भारतीय एक्सपोर्टर्स को बेहतर पहुंच और प्रतिस्पर्धा
रिपोर्ट में बताया गया है कि एफटीए से टैरिफ में कटौती, व्यापार से जुड़ी बाधाओं में राहत और बाजार तक बेहतर पहुंच संभव हो सकेगी. इसका सीधा फायदा भारतीय एक्सपोर्टर्स को मिलेगा, जो ब्रिटेन के मार्केट में ज्यादा कॉम्पिटीटिव बन सकेंगे.इसके अलावा जो एक्सपोर्टर्स अमेरिका में टैरिफ बढ़ने या बिक्री में गिरावट जैसी अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं, उन्हें भी इससे राहत मिलेगी.
भारत करेगा 90% ब्रिटिश प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम
समझौते के तहत भारत आने वाले 10 सालों में 90% ब्रिटिश सामानों पर टैरिफ कम करेगा, जिनमें से 85% सामान पूरी तरह से टैक्स फ्री हो जाएंगे. बदले में ब्रिटेन भारत से होने वाले 99% एक्सपोर्ट पर कोई शुल्क नहीं लगाएगा.इससे दोनों देशों के बीच एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का रास्ता आसान हो जाएगा और सप्लाई चेन भी स्टेबल होगी.
इन सेक्टर्स को मिलेगा सीधा फायदा
रिपोर्ट के अनुसार, ऑटोमोबाइल, व्हिस्की, इंडस्ट्रियल मशीनरी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर को एफटीए से काफी फायदा मिलेगा. इसमें टैरिफ कटौती और सिंपल नियमों के कारण लागत कम होगी और कॉम्पिटीशन में बढ़त मिलेगी.
इसके साथ ही, भारतीय रत्न और ज्वैलरी इंडस्ट्री को भी यूके के बड़े और अमीर कंज्यूमर मार्केट से जुड़ने का मौका मिलेगा.बिजली और इंजीनियरिंग से जुड़ी कई वस्तुओं पर अब तक 8% से 14% तक टैरिफ था, जो अब हटने की संभावना है. इससे भारत को ग्लोबल सप्लायर्स पर बढ़त मिलेगी.