भारत में प्राइवेट इक्विटी निवेश में जबरदस्त उछाल, 2024 में 46.2% बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक पहुंचा

Private Equity Investments in India: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत फाइनेंशियल स्पॉन्सर एक्टिविटी के लिए एक टॉप मार्केट बना हुआ है. इस क्षेत्र में हुए कुल इक्विटी निवेश का 28% हिस्सा भारत में रहा, जो पिछले साल के 15% से काफी अधिक है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Private Equity Funds: पिछले तीन वर्षों में जुटाया गया कुल पीई फंड लगभग 23 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.
नई दिल्ली:

हेल्थकेयर, फार्मा, कंज्यूमर इंडस्ट्री और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टरों के साथ स्थिर राजनीतिक माहौल और अनुकूल नीतियों के चलते भारत में निजी इक्विटी (Private Equity) निवेश में जबरदस्त उछाल देखा गया है.  बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में निजी इक्विटी निवेश बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 46.2% की वृद्धि को दर्शाता है.  

भारत बना निवेशकों की पहली पसंद  

ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर और डेटा प्रदाता एलएसईजी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की तेजी से बढ़ती मध्यम वर्ग की आबादी, मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम (Startup Ecosystem) और आईपीओ  (IPO) मार्केट ने निवेशकों को नए अवसर प्रदान किए. एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस की वरिष्ठ प्रबंधक एलेन टैन ने कहा, "एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत फाइनेंशियल स्पॉन्सर एक्टिविटी के लिए एक टॉप मार्केट बना हुआ है. इस क्षेत्र में हुए कुल इक्विटी निवेश का 28% हिस्सा भारत में रहा, जो पिछले साल के 15% से काफी अधिक है."  

पिछले तीन वर्षों में जुटाया गया कुल पीई फंड लगभग 23 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.

सरकार की पहल से बढ़ा निवेश  

रिपोर्ट में बताया गया कि 2025 में भारत में निजी इक्विटी गतिविधि को बढ़ावा देने में कई सरकारी पहलों की भूमिका रही. इनमें अनुकूल नीतियां, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर शामिल हैं.  

वैश्विक ब्रोकरेज और वित्तीय संस्थानों के हालिया अनुमानों के अनुसार, 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए स्थिर राजनीतिक परिदृश्य, अनुकूल नीति, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) कार्यक्रमों के प्रभाव, ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलाव से उत्पन्न संभावनाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च पर सरकार के जोर से समर्थन मिलने की उम्मीद है.

विकास वाले हिस्से को छोड़कर बड़े बाजारों में भारतीय मैक्रो मजबूत बना हुआ है. क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत सेवा निर्यात और रेमिटेंस फ्लो ने चालू खाता घाटे (CAD) को नियंत्रित रखने में मदद की है. चालू खाता घाटा (सीएडी) में शानदार सुधार दर्ज हुआ है .वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान CAD के 1% पर रहने की उम्मीद है. 

इसके अलावा, क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत सेवा निर्यात और हेल्दी रेमिटेंस फ्लो से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देश के सीएडी को सुरक्षित क्षेत्र में रखने में मदद मिलेगी. 

स्थिर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता भारत  

अधिकांश घरेलू और वैश्विक मैक्रो और माइक्रो संकेतक स्थिर हैं. घरेलू इक्विटी बाजार आय पर केंद्रित है, जबकि सरकारी खर्च बढ़ने और रोजगार के अवसरों में सुधार से अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है. सप्लाई से जुड़ी समस्याएं भी अब कम हो रही हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इन सभी सकारात्मक संकेतकों के चलते भारत में निजी इक्विटी निवेश आने वाले वर्षों में और भी तेजी से बढ़ सकता है.
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi Elections: Arvind Kejriwal के UP, Bihar वाले बयान पर Manoj Tiwari ने बोला हमला