MSCI एमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में चीन के बेहद करीब पहुंच रहा है भारत, बना रहेगा निवेशकों की पसंद

एमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स (EM Index) में अधिक वज़न मिल जाने के चलते भारत उभरते बाज़ार में हिस्सेदारी का नया आधार बन जाएगा, जिससे देश में निवेश बढ़ने की संभावना होगी. फ़ंड मैनेजरों का मानना है कि भारत की बढ़ती ताकत ग्लोबल निवेशकों के लिए एमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स को ज़्यादा आकर्षक बना सकती है, जो मौजूदा समय में इंडेक्स पर चीन के प्रभुत्व के कारण सतर्क रहा करते हैं.

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नई दिल्ली:

भारत जल्द ही विकासशील देशों के इंडेक्स में चीन के साथ अंतर को पाटने के लिए तैयार नज़र आ रहा है. MSCI Inc. द्वारा बनाए गए पैमाने में स्मार्टकर्मा और IIFL सिक्योरिटीज़ लिमिटेड सहित कई कंपनियों के विश्लेषकों का मानना है कि इंडेक्स प्रोवाइडर की इस हफ़्ते होने वाली समीक्षा के बाद MSCI एमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स (MSCI Emerging Markets Index) में भारत की ताकत कम से कम 1 फ़ीसदी बढ़ जाएगी, जिससे वह चीन के काफ़ी करीब आ जाएगा, जो इस वक्त बेंचमार्क के 22.33 फ़ीसदी हिस्से पर कब्ज़ा किए बैठा है, और इस समय भारत 19.99 फ़ीसदी के साथ उससे पीछे है.

ब्लूमबर्ग में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, एमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स (EM Index) में अधिक वज़न मिल जाने के चलते भारत उभरते बाज़ार में हिस्सेदारी का नया आधार बन जाएगा, जिससे देश में निवेश बढ़ने की संभावना होगी. फ़ंड मैनेजरों का मानना है कि भारत की बढ़ती ताकत ग्लोबल निवेशकों के लिए एमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स को ज़्यादा आकर्षक बना सकती है, जो मौजूदा समय में इंडेक्स पर चीन के प्रभुत्व के कारण सतर्क रहा करते हैं.

कैन्ड्रियम बेल्जियन एनवी के पोर्टफ़ोलियो मैनेजर विवेक धवन का कहना है, "यह EM Index को ज़्यादा संतुलित बना सकता है, जहां भारत जैसे मुल्कों की तरक्की की गाथाएं ज़्यादा जगह पाएंगी, जो फ़िलहाल चीन और कोरिया जैसे बाज़ारों को मिलती है..."

इस बदलाव का एक साइड इफ़ेक्ट भी है - इंडेक्स देखकर निवेश करने वाले अपनी रकम को पहले से ही महंगे दामों में बिक रहे भारतीय शेयरों में निवेश के लिए विवश होंगे,, वह भी ऐसे वक्त में, जब ग्लोबल बाज़ारों में संकट के चलते बड़े सौदों को झटके लग रहे हैं.

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लम्बे अरसे से 'अगला चीन' कहला रहा भारत मज़बूत आर्थिक तरक्की, लगातार बढ़ते मध्यम वर्ग, और तेज़ी से फैलते मैन्यूफ़ेक्चरिंग सेक्टर की बदौलत निवेशकों का पसंदीदा बनकर उभरा है, जबकि इसी दौरान चीन दीर्घकालिक आर्थिक चुनौतियों और पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों में लगातार बढ़ते तनाव के चलते दिक्कतों का सामना कर रहा है.

गोल्डमैन सैक्स एसेट मैनेजमेंट में एमर्जिंग मार्केट्स इक्विटी के सह-प्रमुख और इंडिया इक्विटी स्ट्रैटेजीज़ के मुख्य पोर्टफ़ोलियो मैनेजर हिरेन दासानी के मुताबिक, "कई ऐसे ग्लोबल निवेशक, जो भारत को निवेश के लिए पसंदीदा जगह के रूप में नहीं देखते थे, अब ज़्यादा अनुकूल दृष्टि से देखेंगे..."

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ब्लूमबर्ग में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, एमर्जिंग मार्केट्स के लिहाज़ से चीन का दर्जा पिछले कुछ सालों में नीचे गिरा है, जबकि भारत ने लगातार तरक्की की है. अपने चरम काल में, 2020 में MSCI EM Index में चीन की हिस्सेदारी 40 फ़ीसदी थी, लेकिन चीन द्वारा की गई सख्त नियामक कार्रवाइयों और कर्ज़ में डूबे प्रॉपर्टी सेक्टर को राहत देने की कोशिशों के चलते उसकी ताकत इंडेक्स में घटती चली गई.

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MSCI के क्षेत्रीय इंडेक्स, यानी एशिया पैसिफिक इंडेक्स में इसी साल जुलाई के अंत में चीन के मुकाबले भारत की हिस्सेदारी सिर्फ़ 2.34 प्रतिशत अंक कम थी, और यही पैटर्न प्रमुख इंडेक्स प्रोवाइडरों के ज़्यादातर इंडेक्स में दिखता रहा है. वैसे, MSCI ने इस पर टिप्पणी के लिए कारोबारी वक्त के बाद भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया है.

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स्मार्टकर्मा के विश्लेषक ब्रायन फ्रीटास ने कहा, "ऊंचाइयां छूते इक्विटी बाज़ार, कंपनियों के लिए फ़्री फ़्लोट में बढ़ोतरी और भारत में नई बड़ी-बड़ी लिस्टिंग की बदौलत यह अंतर (चीन और भारत के वज़न में) साल के अंत तक भी कम होता ही रहेगा..."

नुवामा ऑल्टरनेटिव एंड क्वांटिटेटिव रिसर्च एनैलिसिस के प्रमुख अभिलाष पगरिया के अनुसार, MSCI अपनी समीक्षा में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के सप्लायर डिक्सन टेक्नोलॉजीज़ (इंडिया) लिमिटेड और प्रॉपर्टी डेवलपर ओबेरॉय रीयल्टी लिमिटेड समेत छह शेयरों को जोड़ सकता है. उन्होंने यह भी कहा, बाज़ार मूल्य के आधार पर भारत के सबसे बड़े HDFC बैंक लिमिटेड के वज़न में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होनी मुमकिन है.

एक तरफ़, जब चीन के शेयर लगातार दिक्कतें झेल रहे हैं, वहीं दूसरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल होने के बाद भारत के NSE निफ़्टी 50 इंडेक्स में इस साल 12 फ़ीसदी बढ़ोतरी हो चुकी है. इस बेंचमार्क इंडेक्स में लगातार नौवें साल सालाना बढ़ोतरी होना निश्चित दिख रहा है.

चीन और भारत में इस विपरीत ट्रेंड से ज़ाहिर होता है कि निवेशकों की प्राथमिकता में भारत आगे आ चुका है, भले ही चीन के शेयर बेहद सस्ते बने हुए हैं. इसी से यह भी ज़ाहिर होता है कि चीन अपने बाज़ारों में गिरावट को रोकने में नाकाम रहा है.

प्रिंसिपल एसेट मैनेजमेंट की चीफ़ ग्लोबल स्ट्रैटेजिस्ट सीमा शाह का कहना है, "हम चीन की चुनिंदा कमियों के मुकाबले भारत को डाइवर्सिफ़ायर के तौर पर देखते हैं... बहुत सालों से लोग जिन ढेरों संभावनाओं के बारे में बात करते आ रहे हैं, अब वे संभावनाएं सच होती दिख रही हैं..."

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