भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने चेताया है कि डिज्नी और रिलायंस मीडिया मर्जर से प्रतिद्वंद्वियों को नुकसान होगा. सूत्रों के मुताबिक सीसीआई इस शुरुआती आकलन पर पहुंचा है कि भारत में रिलायंस और वॉल्ट डिज्नी मीडिया का 8.5 अरब डॉलर के होने वाले मर्जर से क्रिकेट प्रसारण अधिकारों पर उनकी ताकत की वजह से प्रतिद्वंद्वियों को नुकसान पहुंचेगा. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में चार सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है.
यह इस मर्जर के लिए सबसे बड़ा झटका होगा. एक सूत्र ने बताया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने निजी तौर पर डिज्नी और रिलायंस को अपने विचार बताए और कंपनियों से यह बताने के लिए कहा है कि इसकी जांच का आदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिए.
एंटीट्रस्ट विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि फरवरी में घोषित विलय को गहन जांच का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ये भारत का सबसे बड़ा एंटरटेनमेंट प्लेयर तैयार करेगा, जो संयुक्त 120 टीवी चैनलों और दो स्ट्रीमिंग सर्विस के साथ सोनी, ज़ी एंटरटेनमेंट, नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन के साथ कंपीट करेगा.
सीसीआई ने इससे पहले निजी तौर पर रिलायंस और डिज्नी से विलय से जुड़े करीब 100 सवाल पूछे थे. सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि कंपनियों ने वॉचडॉग से कहा है कि वे बाजार की शक्ति के बारे में चिंताओं को दूर करने और शीघ्र अनुमोदन हासिल करने के लिए 10 से कम टेलीविजन चैनल बेचने को तैयार हैं.
एक दूसरे सूत्र ने कहा कि सीसीआई नोटिस से अनुमोदन प्रक्रिया में देरी हो सकती है, लेकिन कंपनियां अभी भी अधिक रियायतें देकर चिंताओं का समाधान कर सकती हैं.
सूत्र ने कहा, "ये चीजों के जटिल होने का संकेत है. नोटिस का मतलब है कि शुरुआत में, सीसीआई को लगता है कि विलय से प्रतिस्पर्धा को नुकसान होगा और जो भी रियायतें दी गई हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं."
तीसरे व्यक्ति ने कहा, "सीसीआई को चिंता है कि इकाई लाइव इवेंट के दौरान विज्ञापनदाताओं के लिए दरें बढ़ा सकती है."
जेफ़रीज़ ने कहा है कि डिज़नी-रिलायंस इकाई के पास टीवी और स्ट्रीमिंग सेगमेंट में विज्ञापन बाजार का 40% हिस्सा होगा.
भारत में क्रिकेट के प्रशंसक बहुत ज्यादा हैं और विज्ञापनदाता मैचों के दौरान इसे भुनाते हैं. दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट इंडियन प्रीमियर लीग सहित शीर्ष लीगों के डिजिटल और टीवी क्रिकेट अधिकार रिलायंस-डिज्नी के पास होंगे.
ज़ी और सोनी ने 2022 में भारत में 10 बिलियन डॉलर की टीवी दिग्गज कंपनी बनाने की योजना बनाई और उन्हें इसी तरह की चेतावनी नोटिस मिली.
उन्होंने तीन टीवी चैनल बेचकर कुछ रियायतें देने की पेशकश की, जिससे उन्हें सीसीआई अनुमोदन हासिल करने में मदद मिली, लेकिन विलय अंततः विफल हो गया.