- टैक्स प्लानिंग से टैक्स का बोझ होता है कम
- पुरानी टैक्स रिजीम में मिलता है छूटों का लाभ
- किराए के मकान पर HRA के जरिए टैक्स में छूट ले सकते हैं
- सेक्शन 80(D) में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 25 हजार रुपये तक की छूट
How to Save Income Tax: किसी भी टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी होता है कि वो अपनी टैक्स प्लानिंग करे. इससे टैक्स का बोझ तो कम होता ही है, साथ में बचत भी होती है. अगर पुरानी टैक्स रिजीम की बात करें तो सरकार की तरफ से टैक्स में छूट हासिल करने के कई ऑप्शन मौजूद हैं, कई कटौतियां सरकार देती है. अगर आप टैक्स के दायरे में आते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है, जिससे आप टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते हैं.
फाइनेंशियल ईयर के लिए रिटर्न फाइल होना शुरू हो चुकी है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर कर दी है. ऐसे में अगर आप पुरानी रिजीम का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको नए रिजीम के मुकाबले ज्यादा डिडक्शन और छूट देखने को मिलती है. चलिए आपको बताते हैं उन डिडक्शन के बारे में जिन्हें आप क्लेम करके अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं.
सेक्शन 80(C) के अंतर्गत मिलने वाली छूट
सेक्शन 80 (C) टैक्स सेविंग के लिहाज से अहम सेक्शन है. इस सेक्शन में सरकार की तरफ से 1.50 लाख रुपए तक की छूट टैक्सपेयर्स को मिलती है.आपको इस सेक्शन की उन स्कीमों के बारे में बताते हैं जिनमें आप निवेश कर सकते हैं.
- ईपीएफ (EPF)
- पीपीएफ (PPF)
- एलआईसी (LIC)
- इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम
- बैंकों में में मौजूद 5 साल की एफडी
- सुकन्या समृद्धि योजना
- होम लोन
- दो बच्चों तक की एजुकेशन के लिए ट्यूशन फीस
- यूनिट लिंक्ड बीमा योजना
सेक्शन 80(D) के तहत जमा किया हुआ हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम
हेल्थ इंश्योरेंस का इस्तेमाल इमर्जेंसी में काम आता है. इससे अस्पताल के बिल में कटौती तो होती ही है साथ में टैक्सेबल इनकम को कम करने में भी मदद मिलती है. सेक्शन 80(D) के अनुसार 25 हजार रुपये तक की छूट इसके प्रीमियम पर ले सकते हैं, अगर आपने अपने पार्टनर, माता-पिता और बच्चों के लिए इंश्योरेंस लिया है. अगर आपके माता-पिता की आयु 60 साल या इससे अधिक है तो आपको डिडक्शन का फायदा 50 हजार रुपए तक मिलेगा.
मकान किराया भत्ता
किराए के मकान में रहने पर भी टैक्स में आप छूट का फायदा ले सकते हैं. हालांकि उसके लिए टैक्स डिपार्टमेंट ने तीन कैटेगरी बनाई हुईं हैं. उन तीनों में से जो भी रकम कम हो, उसका इस्तेमाल डिडक्शन क्लेम के लिए कर सकते हैं.
- एक्चुअल HRA जो आपको अपनी कंपनी से मिलता है
- महंगाई भत्ता का 50%+बेसिक सैलरी (मेट्रो शहर), महंगाई भत्ता का 40%+बेसिक सैलरी (नॉन- मेट्रो शहर)
- किराया-(बेसिक सैलरी+महंगाई भत्ता का 50%)
होम लोन की ब्याज
सेक्शन 24(B) कहता है कि होम लोन की ब्याज पर आप छूट ले सकते हैं, हालांकि इसकी अधिकतम सीमा 2 लाख रुपए तक है. पर ये बात ध्यान रखिए कि घर को बनाए या खरीदे पांच साल से ज्यादा का समय ना हुआ हो.
स्टैंडर्ड डिडक्शन
टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन की फैसिलिटी सरकार देती है. पुरानी रिजीम में इसकी सीमा 50 हजार रुपये और नई रिजीम में 75 हजार रुपये है.