यूरोप की अदालतों में मंगलवार को दुनिया की दो बड़ी कंपनियों के ख़िलाफ़ फ़ैसले सुनाए गए. अल्फाबेट के Google पर यूरोप की शीर्ष अदालत ने महाद्वीप के छोटे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अनुचित फ़ायदा हासिल करने की खातिर खुद की प्राइस कम्पैरिज़न शॉपिंग सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए सात साल पहले 242 करोड़ यूरो (267 करोड़ अमेरिकी डॉलर या लगभग ₹22,414 करोड़) का जो जुर्माना लगाया था, उसे बरकरार रखा. इसके अलावा, Apple भी मंगलवार को यूरोपीय संघ (EU) से लम्बे अरसे से जारी अदालती लड़ाई हार गया, जब उन्हें अदालती आदेश के बाद आयरलैंड को 1,300 करोड़ यूरो (1440 करोड़ अमेरिकी डॉलर या लगभग ₹1,20,885 करोड़) का टैक्स चुकाने के लिए विवश होना पड़ा.
एजेंसियों के मुताबिक, गूगल पर यह जुर्माना पिछले 10 साल के दौरान किए गए विभिन्न एन्टीट्रस्ट उल्लंघनों के लिए यूरोपीय कमीशन की तरफ़ से लगाए गए तीन जुर्मानों में शामिल है, जिससे कंपनी को कुल 825 करोड़ यूरो का नुकसान हुआ है. इस मामले में गूगल और अल्फाबेट की तरफ से दाखिल की गई अपील को खारिज कर दिया गया है.
उधर, वर्ष 2016 में यूरोपीय कमीशन के कॉम्पीटिशन चीफ़ मार्ग्रेथ वेस्टेजर ने आयरलैंड पर Apple को गैरकानूनी तरीके से टैक्स लाभ देने तथा गलत तरीके से निवेश को अन्य देशों से दूर ले जाने का आरोप लगाया था. दरअसल, आयरलैण्ड की कम टैक्स दरों ने बड़ी टेक कंपनियों को ललचाया कि वे अपने-अपने यूरोपीय हेडक्वार्टर आयरलैण्ड में ही स्थापित करें. इसके बाद Apple और आयरलैंड, दोनों ने ही यूरोपीय संघ के फैसले को चुनौती दी थी.
लेकिन अब यूरोपीय कोर्ट ने मार्ग्रेथ वेस्टेजर का पक्ष लेते हुए माना कि Apple को आयरलैंड की कर व्यवस्था में अनुचित खामियों से अनुचित लाभ मिला, और Apple को अब आयरलैंड को 1,300 करोड़ यूरो का पिछला भुगतान चुकाना होगा.
नियमों के अनुसार, यूरोपीय कोर्ट का यह फ़ैसला अंतिम है, और इसके ख़िलाफ़ अपील नहीं की जा सकती. Apple ने इस फ़ैसले पर निराशा जताई है. कंपनी का कहना है, "यूरोपीय कमीशन गुज़रे वक्त से ही नियमों को बदलने की कोशिश कर रहा है और इस बात को नजरअंदाज़ कर रहा है कि हम अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक, अपनी आय पर अमेरिका में टैक्स चुका रहे हैं..."