EXCLUSIVE: "जाओ देश के बीच...", PM ने कैसे बनवाया 'आम आदमी का बजट', निर्मला सीतारमन ने बताई इनसाइड स्टोरी

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने NDTV के एडिटर-इन-चीफ़ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, "बजट को आसान भाषा में पेश करना चुनौती होता है... लेकिन प्रधानमंत्री ऐसा ही चाहते थे... वह चाहते हैं कि बजट ऐसा होना चाहिए, जिसे सभी समझ सकें..."

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केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने आम बजट को लेकर NDTV के एडिटर-इन-चीफ़ संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत की...
नई दिल्ली:

हाल ही में पेश किए गए आम बजट के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन का कहना है कि देश का बजट साल-दर-साल आसान भाषा में इसलिए होता जा रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा ही चाहते हैं.

मंगलवार, 23 जुलाई को संसद में वार्षिक बजट पेश करने के बाद शुक्रवार को NDTV के एडिटर-इन-चीफ़ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में निर्मला सीतारमन ने बताया कि प्रधानमंत्री हमेशा से चाहते हैं, और कहते हैं कि बजट सरल भाषा में होना चाहिए, ताकि आम आदमी को समझ आ सके.

आर्थिक बजट को आसान या आम आदमी की भाषा में प्रस्तुत करने को चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा, "बजट को आसान भाषा में पेश करना चुनौती होता है... लेकिन प्रधानमंत्री ऐसा ही चाहते थे... वह चाहते हैं कि बजट ऐसा होना चाहिए, जिसे सभी समझ सकें... एक वक्त था, जब संसद में पेश किया गया बजट किसी को समझ नहीं आता था, और बाद में ननी पालखीवाला मुंबई के एक स्टेडियम में उसे आसान भाषा में जनता के लिए पेश करते थे, समझाते थे... लेकिन अब पिछले 10 साल से हमारी सरकार की कोशिश यही रही है कि बजट समझने में जितना आसान हो, उतना बेहतर होगा..."

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केंद्रीय वित्तमंत्री के मुताबिक, प्रधानमंत्री यह भी चाहते हैं कि बजट में कोई बात घुमा-फिराकर या छिपाकर नहीं कही जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "PM नरेंद्र मोदी का मानना है कि बजट को वही सब कहना चाहिए, जो आप कहना चाहते हैं, कुछ न छिपना चाहिए..."

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निर्मला सीतारमन ने बताया, "सरकार का उद्देश्य यही रहा है कि बजट में कुछ भी ढका-छिपा न हो, और सभी की समझ में आए, क्योंकि यही प्रधानमंत्री की इच्छा है... इसके अलावा, PM यह भी चाहते हैं कि बजट में जो कुछ भी कहना या करना है, साफ-साफ किया जाना चाहिए... वह कहते हैं, अगर बाद में कुछ बदलाव या संशोधन करने भी पड़ें, तो वह फीडबैक लेने के बाद किया जाना चाहिए... भाषा को सरल बनाने के अलावा यही दूसरा बड़ा काम है, जो हमने बजट में किया..."

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उन्होंने बताया, "चूंकि इस बार बजट जुलाई में आया, इसलिए ऐसा नहीं किया गया, लेकिन फरवरी के बजट में हमेशा संसद सत्र के दो हिस्सों के बीच में पड़ने वाले खाली वक्त में मैं पेश किए जा चुके बजट को लेकर सारे देश में जाती हूं, और प्रोफेशनलों, चार्टर्ड अकाउंटेंटों, बिज़नेस, कॉमर्स, ट्रेड, इंडस्ट्री वगैरह सबसे बजट के बारे में बात करती हूं, और फिर फाइनेंस बिल को पारित करते वक्त उन सुझावों से बदलाव भी किए गए हैं... यही वह दूसरा बड़ा बदलाव है, जो प्रधानमंत्री चाहते थे... उन्हीं की इच्छा से मैं बजट को लेकर सारे देश में घूमती हूं, क्योंकि उनका मानना है, सभी कुछ फीडबैक के आधार पर होना चाहिए..."

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