'किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार...', गौतम अदाणी ने छात्रों को दिखाया गीत में दर्शन, यूं किया मोटिवेट 

गौतम अदाणी ने कहा, 'राज कपूर जी भारत में सॉफ्ट पावर के सबसे बेहतरीन पैरोकार थे, जिन्होंने एक ऐसा सांस्कृतिक बंधन बनाया जिसने भारत और सोवियत संबंधों को पीढ़ियों तक मजबूत और प्रेरित किया.'

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  • उद्योगपति गौतम अदाणी ने मुंबई के एक इंस्टीट्यूट में छात्रों को सिनेमा और कहानी कहने की कला पर संबोधित किया
  • उन्होंने गुरुदत्त और राज कपूर के शताब्दी समारोह को याद करते हुए सिनेमा को राष्ट्र की धड़कन बताया
  • उन्‍होंने फिल्म अनाड़ी के गीत को भारत की सॉफ्ट पावर और कला के माध्यम से व्यक्त भावनाओं का दर्शन बताया
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'किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार... किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार... राज कपूर की फिल्‍म का ये केवल एक गीत नहीं था, बल्कि एक दर्शन था, एक ऐसा दर्शन जो भारत की सॉफ्ट पावर, कला के माध्यम से व्यक्त भावनाओं की मांग करता है.' शुक्रवार को जाने-माने उद्योगपति गौतम अदाणी जब मुंबई के व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट में छात्रों को संबोधित करने पहुंचे तो उन्‍होंने फिल्‍मी गीतों में दर्शन को जोड़ते हुए उन्‍हें प्रेरित किया. उन्‍होंने कहानी कहने की ताकत, सिनेमा और भारत की सांस्कृतिक पहचान पर अपने विचार साझा किए. 

गुरुदत्त और राज कपूर को किया याद 

छात्रों को संबोधित करते हुए गौतम अदाणी ने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे जैसा एक इन्फ्रास्ट्रक्चर कारोबारी हमारे देश के कुछ सबसे अधिक क्रिएटिव माइंड्स से बात करेगा. यह वर्ष वास्तव में विशेष है, क्योंकि यह दो महान हस्तियों, गुरुदत्त जी और राज कपूर जी के शताब्दी समारोह का प्रतीक है. इन दोनों ने मिलकर हमें सिखाया कि सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं है. यह गतिमान कविता है और एक राष्ट्र की धड़कन है जो अपनी आवाज ढूंढ रही है.'उन्होंने राज कपूर की प्रतिष्ठित फिल्म अनाड़ी का जिक्र करते हुए छात्रों को प्रेरित किया. 

राज कपूर जी ने फिल्म अनाड़ी में इसे खूबसूरती से समझाया था. किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार... किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार. यह सिर्फ एक गीत नहीं था. यह एक दर्शन था, एक ऐसा दर्शन जो भारत की सॉफ्ट पावर, कला के माध्यम से व्यक्त भावनाओं की मांग करता है.

गौतम अदाणी

चेयरमैन, अदाणी ग्रुप

'भारत में सॉफ्ट पावर के पैरोकार थे राज कपूर'

उन्होंने राज कपूर की विरासत पर भी बात की. उन्होंने कहा, 'मुझे यह भी दिलचस्प लगा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के दौर में एक आम आदमी के रूप में उनके अभिनय ने सोवियत दर्शकों की गहरी भावनाओं को कितनी खूबसूरती से छुआ. राज कपूर जी भारत में सॉफ्ट पावर के सबसे बेहतरीन पैरोकार थे, जिन्होंने एक ऐसा सांस्कृतिक बंधन बनाया जिसने भारत और सोवियत संबंधों को पीढ़ियों तक मजबूत और प्रेरित किया.'

'इमारतें ढह जाएंगी, साम्राज्य विफल हो जाएंगे, लेकिन...'

संस्थान में स्‍पीच देने के लिए आमंत्रित किए जाने को लेकर गौतम अदाणी ने कहा, ' जब सुभाष जी ने मुझे बोलने के लिए आमंत्रित किया, तो मैंने खुद से पूछा, बंदरगाहों और हवाई अड्डों का निर्माता आपके साथ क्या ज्ञान साझा कर सकता है? लेकिन जब मैंने इस पर विचार किया, तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे द्वारा बनाई गई हर परियोजना स्टील से नहीं, बल्कि एक कहानी से शुरू हुई थी. जमीन में नींव रखने से पहले, आपको मन में भी नींव रखनी होगी. इमारतें ढह जाएंगी. साम्राज्य विफल हो जाएंगे. लेकिन रोशनी बुझ जाने और अंतिम क्रेडिट रोल होने के बहुत समय बाद भी, कहानी ही बची रहती है, जो आगे आने वालों के लिए रास्ता रोशन करती है.' 

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