विदेशी निवेशकों ने दिसंबर के पहले दो सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार में डाले 22,766 करोड़ रुपये

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अबतक (13 दिसंबर तक) शेयरों में शुद्ध रूप से 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसकी वजह यह है कि माना जा रहा है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दर में कटौती करेगा.

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FPI Inflows In Indian Stock Markets in December 2025: डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, ताजा एफपीआई इन्फ्लो के साथ 2024 में अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 7,747 करोड़ रुपये रहा है.
नई दिल्ली:

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजार में वापसी की है. दिसंबर के पहले दो सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इससे पहले नवंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजार से 21,612 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की भारी निकासी की थी. अक्टूबर की निकासी का आंकड़ा सबसे खराब रहा था.

दिलचस्प बात यह है कि सितंबर में एफपीआई इन्फ्लो नौ माह के उच्चस्तर 57,724 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. यह विदेशी निवेशकों के निवेश के रुख में अस्थिरता को दर्शाता है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, ताजा एफपीआई इन्फ्लो के साथ 2024 में अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 7,747 करोड़ रुपये रहा है.

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों का प्रवाह कई प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगा. इनमें डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा राष्ट्रपति के रूप में लागू की गई नीतियां, मौजूदा मुद्रास्फीति और ब्याज दर की स्थिति और भू-राजनीतिक परिदृश्य शामिल है.''

उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे और आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर देश की प्रगति भी निवेशक धारणा को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

इस महीने अबतक 22,766 करोड़ रुपये का आया निवेश

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अबतक (13 दिसंबर तक) शेयरों में शुद्ध रूप से 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसकी वजह यह है कि माना जा रहा है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दर में कटौती करेगा.

निवेशकों को रेपो रेट में कटौती की उम्मीद

वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के वरिष्ठ निदेशक (सूचीबद्ध निवेश) विपुल भोवर ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को कम करके तरलता बढ़ाई है, जिससे निवेशकों की धारणा को बल मिला है. इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर के 6.21 प्रतिशत से घटकर नवंबर में 5.48 प्रतिशत रह गई है. इससे निवेशकों में उम्मीद बनी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती करेगा.

इस समान अवधि में एफपीआई ने बॉन्ड में सामान्य सीमा के तहत 4,814 करोड़ रुपये का निवेश किया है. वहीं उन्होंने स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) से 666 करोड़ रुपये की निकासी की है. इस साल अबतक एफपीआई ऋण या बॉन्ड बाजार में 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं.
 

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