डॉलर के मुकाबले 75 पैसे मजबूत हुआ रुपया, US-China ट्रेड डील और FPI इनफ्लो से आई तेजी

Dollar vs Rupee Rate Today On 13 May 2025: एनएसई की 'मार्केट पल्स रिपोर्ट' के मुताबिक, "इन चुनौतियों के बावजूद रुपया दुनिया की अन्य करेंसी के मुकाबले स्थिर रहा है. इसकी वजह कम होता चालू खाता घाटा, सरकार की मजबूत वित्तीय स्थिति, लिक्विडिटी और कच्चे तेल की कीमतों में कमी आना है."

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Dollar vs Rupee Rate :जानकारों ने आगे कहा कि आने वाले समय में जियो-पॉलिटिकल टेंशन को लेकर किसी भी अपडेट का रुपए की चाल पर असर देखने को मिल सकता है.
नई दिल्ली:

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए (US Dollar vs Indian Rupee) में शानदार तेजी का दौर जारी है. आज यानी मंगलवार, 13 मई को रुपया 75 पैसे की बढ़त के साथ 84.65 पर खुला.इससे पहले के सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपया 85.38 के स्तर पर बंद हुआ था. जानकारों के मुताबिक, कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपया 84.50 से लेकर 85.25 की रेंज में कारोबार कर सकता है.

बता दें कि रुपए में तेजी ऐसे समय पर आई है जब हाल ही में अमेरिका और चीन में व्यापार समझौता (US-China Trade Deal) हुआ है और इससे ग्लोबल मार्केट में अधिक स्थिरता आएगी.

जियो-पॉलिटिकल टेंशन से रुपये पर होगा असर

यूएस और चीन के बीच हुए ट्रेड डील के तहत अमेरिका चीनी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को 90 दिनों के लिए 145 प्रतिशत से 30 प्रतिशत करेगा. चीन भी अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को 90 दिनों के लिए 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करेगा. इसके साथ ही दोनों देश इकनॉमिक और ट्रेड रिलेशन पर चर्चा जारी रखने के लिए एक सिस्टम स्थापित करेंगे.

जानकारों ने आगे कहा कि आने वाले समय में जियो-पॉलिटिकल टेंशन को लेकर किसी भी अपडेट का रुपए की चाल पर असर देखने को मिल सकता है.

डॉलर के मुकाबले रुपया 83.10-87.6 के बीच  कर रहा कारोबार

वित्त वर्ष 25 में डॉलर के मुकाबले रुपए ने 83.10 से लेकर 87.6 के बीच कारोबार किया. इस दौरान अमेरिकी करेंसी के खिलाफ भारतीय रुपये की वैल्यू में सालाना आधार पर 2.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. रुपए में गिरावट की वजह विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर का मजबूत होना था.

रुपया दुनिया की अन्य करेंसी के मुकाबले स्थिर

एनएसई की 'मार्केट पल्स रिपोर्ट' के मुताबिक, "इन चुनौतियों के बावजूद रुपया दुनिया की अन्य करेंसी के मुकाबले स्थिर रहा है. इसकी वजह कम होता चालू खाता घाटा, सरकार की मजबूत वित्तीय स्थिति, लिक्विडिटी और कच्चे तेल की कीमतों में कमी आना है."

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रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 के मार्च में डॉलर में कमजोरी और फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश बढ़ने के कारण डॉलर के मुकाबले रुपए में 2.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई.

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