फार्मास्युटिकल दिग्गज बायोकॉन की फाउंडर किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar-Shaw) ने बुधवार को कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों में नौकरियों के लिए स्थानीय लोगों को आरक्षण देने के प्रस्ताव का विरोध किया है, जो कि देश का आईटी हब है.किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि कर्नाटक सरकार द्वारा प्राइवेट कंपनियों में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण अनिवार्य करने के फैसले से हाईली स्किल्ड लोगों की भर्ती को छूट मिलनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों के लिए नौकरी आरक्षण से बेंगलुरु के रूप में राज्य की टेक सेक्टर में टॉप पॉजिशन पर असर नहीं होनी चाहिए.
एक्स पर एक पोस्ट में किरण मजूमदार शॉ ने कहा, "एक टेक हब के रूप में, हमें स्किलड टैलेंट की आवश्यकता है जबकि स्थानीय लोगों को नौकरियां प्रदान करने का लक्ष्य है. इस कदम से टेक्नोलॉजी में हमारी अग्रणी स्थिति प्रभावित नहीं होनी चाहिए. इस पॉलिसी से हाईली स्किल्ड रिक्रटमेंट को छूट देने वाली शर्तें होनी चाहिए."
सरकार हितधारकों से बात किए बिना कोई नियम नहीं बनाएगी: प्रियांक खड़गे
इस पर कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी एवं मंत्री प्रियांक खड़गे ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बिना कोई हानिकारक नियम या कानून लागू नहीं किया जाएगा". उनका कहना है कि सरकार हितधारकों से बातचीत किए बिना कोई नुकसानदेह नियम नहीं बनाएगी. इसके आगे उन्होंने कहा, "कर्नाटक ने हमेशा देश के आर्थिक विकास का नेतृत्व किया है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे."
कर्नाटक राज्य ने कई और माइलस्टोन हासिल किए
उन्होंने कहा कि कर्नाटक दुनिया का चौथा सबसे बड़ा टेक केंद्र, इंडिया इनोवेशन इंडेक्स में नंबर एक और आईटी सर्विस एक्सपोर्ट में पहला स्थान रखता है.उन्होंने कहा कि राज्य ने ये और कई और माइलस्टोन हासिल किए हैं क्योंकि हमारी सरकार लगातार सभी हितधारकों के साथ मिलकर ऐसी नीतियां और योजनाएं बनाती है जो निवेश को बढ़ावा देती हैं और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करती हैं.
इंडस्ट्री के कई बड़े लोगों ने कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखाने और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार विधेयक, 2024 का विरोध किया है, जिसे सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कैबिनेट ने मंजूरी दी थी.
इस विधेयक के तहत भारत की आईटी राजधानी में कंपनियों को नॉन-मैनेजमेंट पदों के 70% और मैनेजमेंट लेवल की नौकरियों के 50% पद स्थानीय लोगों को देने होंगे. हालांकि, विरोध के बाद राज्य सरकार ने इस विधेयक को रोक दिया है.