भारत पर अमेरिका का 50% रेसिप्रोकल टैरिफ 27 अगस्त 2025 से लागू हो गया है. एक्सपर्ट का मानना है कि, "भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका में 50% टैरिफ लगाए जाने से टेक्सटाइल, जेम्स और ज्वेलरी, लेदर जैसे क्षेत्रों पर दबाव बढ़ सकत है. इसी वजह से 28 अगस्त 2025 को घरेलू शेयर बाजारों में इन क्षेत्रों के निवेशकों में थोड़ी घबराहट देखने को मिल सकती है."
'टेक्सटाइल, जेम्स और ज्वेलरी, लेदर, एनिमल प्रोडक्ट्स पर पड़ेगा असर'
विश्लेषकों का मानना है कि, "टेक्सटाइल, जेम्स और ज्वेलरी, लेदर, एनिमल प्रोडक्ट्स, कैमिकल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को इस टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है. हालांकि, मेडिसिन, एनर्जी प्रोडक्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर ये लागू नहीं है."
शेयर बाजार पर सभी की नजरें टिकी
भारत में रेसिप्रोकल टैरिफ बुधवार से लागू हो गया है, लेकिन गणेश चतुर्थी की वजह से शेयर बाजार बंद था तो इसका असर देखने को नहीं मिला है. ऐसे में बृहस्पतिवार यानी 28 अगस्त 2025 का कारोबारी सत्र काफी अहम होने वाला है.
शेयर मार्केट की शुरुआत हो सकती है हल्की
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटिजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, "बाजार में गिरावट के साथ शुरुआत संभव है, लेकिन घबराहट की संभावना कम है क्योंकि 50% टैरिफ लगने की बात बहुत समय से कही जा रही थी. विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बिकवाली जारी रख सकते हैं, लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) निचले स्तरों पर तगड़ी खरीदारी करेंगे."
मंगलवार को विदेशी निवेशकों ने निकाले 6,516.49 करोड़ रुपये
उन्होंने कहा कि इस टैरिफ का असर मुख्य रूप से टेक्सटाइल, कुछ मशीनरी और जेम्स और ज्वेलरी क्षेत्र पर पड़ेगा, लेकिन कुल मिलाकर कंपनी की इनकम पर इसका असर ना के बराबर रहेगा. बीते दिन मंगलवार को विदेशी निवेशकों ने 6,516.49 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू निवेशकों ने 7,060.37 करोड़ रुपये की नेट खरीदारी की.
पहले ही बाजार पर 25% अतिरिक्त शुल्क का हुआ असर
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के डायरेक्टर पुनीत सिंघानिया ने कहा, "अमेरिका के 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने से बाजार पहले ही प्रभावित हो चुका है. मंगलवार को निफ्टी 255.70 अंक गिरकर 24,712 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स में 849.37 अंकों की गिरावट रही. टेक्सटाइल, कैमिकल, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स और जेम्स और ज्वेलरी, जैसे एक्सपोर्ट बेस्ड एरिया में कुछ समस्या देखने को मिल सकती है."
मेडिसिन और आईटी इंडस्ट्री में हो सकता है निवेश
इसके साथ ही सिंघानिया ने कहा कि, एक्सपोर्ट करने वाली कंपनी की इनकम कुछ कम हो सकती है. वहीं मेडिसिन और आईटी इंडस्ट्री में डिमांड बढ़ने से यहां निवेशक निवेश के लिए आगे आ सकते हैं.
ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म ट्रेडजिनी के CFO त्रिवेश डी ने कहा, "अमेरिका में 27 अगस्त से अतिरिक्त शुल्क लागू होने के बाद बाजार की पहली प्रतिक्रिया धारणा पर आधारित हो सकती है. उच्च शुल्क से वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा और समुद्री उत्पाद जैसे क्षेत्रों के लिए चुनौती बढ़ेगी. हालांकि समग्र रूप से बाजार एक सीमित दायरे में बना रह सकता है और क्षेत्रों के बीच रोटेशन देखने को मिल सकता है."
बता दें कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के कुल 437.42 अरब डॉलर के निर्यात में से लगभग 20 प्रतिशत अमेरिका की हिस्सेदारी रही थी.