SEBI और Adani Group पर हिंडनबर्ग के आरोपों से सहमत नहीं: अश्वथ दामोदरन

अश्वथ दामोदरन ने कहा कि भारत में जब आप एक ब्यूरोक्रेट होते हैं, तो आपको फैसले लेने पर कोई फायदा नहीं मिलता है, लेकिन जब आप कोई फैसला लें और वो गलत हो जाए तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
एक्सपर्ट अश्वथ दामोदरन ने कहा कि Adani Group देश की एक सक्षम इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है.
नई दिल्ली:

भारत में रेगुलेटर्स को वक्त पर फैसले लेने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ये कहना है जाने माने वैल्युएशन एक्सपर्ट अश्वथ दामोदरन का, उन्होंने हाल ही में अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर मार्केट रेगुलेटर की हालिया आलोचनाओं पर ET BFSI के एक इंटरव्यू में बात की. उन्होंने इस दौरान अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग के आरोपों को लेकर भी कहा कि वो इससे सहमति नहीं रखते हैं.

'गलत फैसलों का खामियाजा भुगतना पड़ता है'

उन्होंने कहा कि देरी हुई क्योंकि भारत में जब आप एक ब्यूरोक्रेट होते हैं, तो आपको फैसले लेने पर कोई फायदा नहीं मिलता है, लेकिन जब आप कोई फैसला लें और वो गलत हो जाए तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. ऐसे में वो करें तो क्या करें? वो इसको टालते जाते हैं. पहले के दिनों में, वो फाइलों का एक बड़ा ढेर ले लेते थे और उसे अपने से किसी बड़े अधिकारी को भेज देते थे, अब उसी का एक बदला हुआ रूप देखने को मिल रहा है.

अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग के आरोपों से असहमत

SEBI के बाद ये चर्चा अदाणी ग्रुप की वित्तीय स्थिति की तरफ मुड़ गई, खासतौर पर विवादास्पद हिंडनबर्ग रिपोर्ट और उसकी ओर से लगाए गए वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को लेकर बात होने लगी. दामोदरन इस धारणा से बिल्कुल असहमत थे कि पूरे अदाणी ग्रुप में वैल्यू की कमी है. उन्होंने कहा कि 'पूरी हिंडनबर्ग रिपोर्ट कहती है कि पूरा अदाणी ग्रुप एक घोटाला था और इसकी कोई वैल्यू नहीं थी, जबकि ये सच नहीं है.'

उन्होंने कहा कि अदाणी ग्रुप देश की एक सक्षम इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है, भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर की बड़े पैमाने पर काफी जरूरत है. अदाणी की कहानी भारत की कहानी का एक हिस्सा है और तथ्य ये है कि अदाणी इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत को पूरा करता है.' इसलिए, अदाणी ग्रुप आगे बढ़ रहा है, उनके पास बड़ी परियोजनाएं हैं और इसलिए वे पैसा उधार ले रहे हैं और इसे करके भी दिखा रहे हैं.

अदाणी ग्रुप का कर्ज दिक्कत नहीं

अदाणी ग्रुप की बैलेंस शीट में कर्ज की बात पर वो कहते हैं कि अदाणी ग्रुप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में हैं और कैश फ्लो कॉन्ट्रैक्चुअल है जिसका इस्तेमाल वो कर्ज चुकाने के लिए कर सकते हैं. दुनिया भर में इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां अपनी विशेषताओं के कारण कई अन्य कंपनियों की तुलना में ज्यादा कर्ज लेती हैं, तो क्या मुझे इस बात की चिंता है कि क्या वे दिवालिया हो जायेंगे? मुझे ऐसा नहीं लगता, उनके पास पूंजी जुटाने की क्षमता है. लेकिन उन्हें एक स्वस्थ कर्जों के मिश्रण के बारे में सोचना चाहिए. उन्हें इक्विटी के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि अब कीमतें फिर से बढ़ गई हैं ताकि वो अपने कर्ज का हिस्सा कम कर सकें.

Featured Video Of The Day
UP Politics: Samajwadi Party से निष्कासित विधायक Pooja Pal ने की CM Yogi से मुलाकात