भारत में घर खरीदने वालों की पसंद अब तेजी से बदल रही है. एनारॉक की एक नई रिपोर्ट बताती है कि 2025 की पहली छमाही में 36 प्रतिशत संभावित खरीदारों ने 90 लाख से 1.5 करोड़ रुपये तक की कीमत वाले घरों को अपनी पहली पसंद बताया है. यह ट्रेंड दिखाता है कि भारतीय खरीदार अब प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट की ओर ज्यादा झुक रहे हैं.
45 लाख से 90 लाख तक वाले घर भी पसंद
रिपोर्ट के मुताबिक 25 प्रतिशत लोग अभी भी 45 लाख से 90 लाख रुपये के बीच आने वाले घरों को पसंद कर रहे हैं. लेकिन 45 लाख से कम कीमत वाले अफोर्डेबल हाउसिंग की मांग में कमी आई है.
एंड-यूजर ज्यादा, इन्वेस्टर्स कम
एनारॉक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 65 प्रतिशत से ज्यादा लोग एंड-यूजर यानी खुद रहने के लिए घर खरीद रहे हैं, जबकि इन्वेस्टमेंट करने वालों की संख्या कम है.
- बेंगलुरु में 43 प्रतिशत खरीदार इन्वेस्टमेंट के लिए प्रॉपर्टी देख रहे हैं, जबकि बाकी 57 प्रतिशत एंड-यूजर हैं.
- दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ 26 प्रतिशत खरीदार इन्वेस्टर हैं और 74 प्रतिशत लोग घर खुद रहने के लिए खरीद रहे हैं.
रियल एस्टेट बना सबसे पसंदीदा निवेश
लगभग 63 प्रतिशत खरीदारों ने कहा कि रियल एस्टेट उनकी नजर में सबसे बेहतर निवेश विकल्प है. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 4 प्रतिशत ज्यादा है.
अफोर्डेबल हाउसिंग से खरीदार नाखुश
रिपोर्ट बताती है कि किफायती घर खरीदने वालों में से 62 प्रतिशत मौजूदा प्रोजेक्ट्स से संतुष्ट नहीं हैं. इनमें से
- 92 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें प्रोजेक्ट का लोकेशन पसंद नहीं है.
- 90 प्रतिशत खरीदारों को प्रोजेक्ट्स की बिल्ड क्वालिटी और डिजाइन खराब लगे.
- 77 प्रतिशत लोगों ने कहा कि फ्लैट का साइज जरूरत और पसंद के हिसाब से बहुत छोटा है.
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि ये नतीजे दिखाते हैं कि 45 लाख या उससे कम कीमत वाले घरों की डिमांड अब घट रही है, जो चिंता का विषय है.
घरों की बढ़ती कीमतें बनी सबसे बड़ी चिंता
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के 81 प्रतिशत से ज्यादा खरीदारों के लिए घरों की बढ़ती कीमतें सबसे बड़ी चिंता हैं.
टॉप 7 शहरों में औसत आवासीय कीमतें 2023 की दूसरी तिमाही में 6,001 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 2025 की दूसरी तिमाही में 8,990 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं. यानी दो साल में कीमतों में 50 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा दर्ज किया गया है.
इसका मतलब है कि भारतीय रियल एस्टेट मार्केट में अब प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट की ओर झुकाव बढ़ रहा है. वहीं अफोर्डेबल हाउसिंग की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, खासकर क्वालिटी और लोकेशन को लेकर.