
आज बॉलीवुड में स्पेशल सॉन्ग का क्रेज है. हर फिल्म में एक दमदार डांस नंबर जरूरी समझा जाता है. लेकिन सोचिए, 1940-50 के दौर का सिनेमा…ना स्पेशल सॉन्ग की परंपरा, ना ग्लैमरस डांस का जलवा. ऐसे वक्त में एक लड़की आई, जिसने अपने डांस से पर्दे पर सबका दिल जीत लिया. दर्शक कहते थे, 'हीरो-हीरोइन बाद में, पहले कुक्कू का डांस दिखाओ.' यही थीं कुक्कू मोरे, जिन्हें लोग प्यार से 'रबर गर्ल' बुलाते थे. उनका डांस इतना कमाल का होता था कि हर किसी के दिल में छा जाता था.
फिल्मों की शान बन चुकी थीं कुक्कू
कुक्कू का पहला बड़ा ब्रेक 1946 में फिल्म अरब का सितारा से हुआ. इसके बाद अनोखी अदा, आन और आवारा जैसी फिल्मों में उनके डांस नंबर हिट हुए. उस समय फिल्म इंडस्ट्री में कैबरे डांस की पहचान ही कुक्कू ने बनाई. ऑडियंस सिर्फ उनके डांस को देखने के लिए सिनेमाघरों में आते थे.
हेलेन और प्राण का बनाया करियर
कुक्कू सिर्फ खुद का करियर नहीं बना रही थीं, बल्कि दूसरों की जिंदगी भी बदल रही थीं. उन्होंने छोटी सी उम्र में ही हेलेन को फिल्मों में कदम रखने का मौका दिलाया. यही नहीं, बॉलीवुड के मशहूर विलेन बने प्राण को भी इंडस्ट्री में एंट्री दिलाने का श्रेय कुक्कू को जाता है. उस जमाने में उन्हें “गॉडमदर ऑफ डांसर्स” कहा जाता था.
शाही ठाठ और आलीशान शौक
कुक्कू की कमाई और शौक दोनों ही गजब के थे. जब हीरोइन पूरी फिल्म के लिए 6-7 हजार रुपए लेती थी, तब कुक्कू एक गाने की फीस ही इतनी लेती थीं. उनके पास मुंबई में बंगला, कई कारें जिनमें से एक कार तो सिर्फ अपने कुत्ते के लिए थी. हजारों ड्रेस और हजारों जूते थे. उनकी पार्टियों में फिल्मी दुनिया के बड़े सितारे शरीक होते थे और कुक्कू हर जगह रानी की तरह एंट्री लेती थीं.
जब शोहरत छिन गई और बचा सिर्फ दर्द
लेकिन किस्मत का खेल देखिए… टैक्स मामलों और काम की कमी ने उनकी पूरी दौलत छीन ली. फिल्म इंडस्ट्री ने भी धीरे-धीरे मुंह फेर लिया. कैंसर ने उन्हें घेर लिया और इलाज कराने तक पैसे नहीं बचे. हालात ऐसे हो गए कि कभी फाइव स्टार होटल में डिनर करने वाली कुक्कू सड़क से सब्जियां बीनकर पेट भरने लगीं. 30 सितंबर 1981 को बॉलीवुड की पहली स्पेशल सॉन्ग गर्ल गुमनामी और गरीबी में दुनिया को अलविदा कह गईं.
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