बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी नब्बे के दशक के हिट स्टारों में से एक हैं. धड़कन, हेरा फेरी, बार्डर, मोहरा और बलवान जैसी सुपरहिट फिल्में देने वाले सुनील शेट्टी ऐसे एक्टर के रूप में स्थापित हो चुके हैं जो अपनी मेहनत और एक्टिंग के बल पर लोगों के दिलों पर आज भी राज करते हैं. सुनील शेट्टी ने शुरुआत से लेकर हर फिल्म में दमदार एक्टिंग की है और अब इस मुकाम पर वो अपनी पिछली जिंदगी को याद करते हैं तो इमोशनल होना लाजमी है. एक शानदार एक्टर होने के बावजूद सुनील शेट्टी में कभी भी एटीट्यूट नहीं दिखा, वो हमेशा जमीन से जुड़े एक्टर के रूप में फैंस के फेवरेट बने रहे. हाल ही में सुनील शेट्टी ने लिंक्डइन पर अपनी जिंदगी के कुछ पन्नों को अपने फैंस के साथ शेयर किया है.
सोशल मीडिया पर साझा किया जिंदगी का एक्सपीरिएंस
लिंक्डइन पर शेयर की गई इस पोस्ट में सुनील शेट्टी ने अपने बचपन,फैमिली वैल्यूज और पैसे के साथ अपने संबंधों को लेकर काफी खुलकर बात की है. सुनील ने लिखा है कि बचपन में उनके परिवार के पास बहुत पैसा नहीं था, उनके माता पिता बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए खूब मेहनत करते थे और परिवार के पास केवल बुनियादी सुविधाएं थी. सुनील ने लिखा कि मेरे माता पिता का रहन सहन इस तरह था कि मुझे और मेरी बहनों को पैसे के महत्व और उसकी बचत को लेकर महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलीं. उन्होंने लिखा है कि - सेविंग यानी बचत हमारी फैमिली की डिफ़ॉल्ट सेटिंग थी. हमारे पिता ने हमें अच्छी परवरिश और अच्छे संस्कार देने के लिए लाइफस्टाइल में कोई बदलाव नहीं किया. फिर हमारी जिंदगी में एक बदलाव आया और हम अपने घर में शिफ्ट हो गए. मेरे माता पिता पैसे को लेकर अपने नजरिए में बिलकुल क्लीयर थे. उनकी कोशिश थी कि पैसे से अलग वो अपने एक्सपीरिएंस और नजरिए से बच्चों का डेवलपमेंट करें. फिर जब मैं फिल्म इंडस्ट्री में आया तो मेरा भी यही नजरिया रहा और मैं सेविंग करना सीख चुका था.
पत्नी ने भी सिक्योर फ्यूचर पर किया फोकस
सुनील लिखते हैं कि जब वो खूब कमाने लगे तो लग्जरी लाइफ जीने का लालच आता था लेकिन दिमाग में बैठे मिडिल क्लास लाइफस्टाइल ने मजबूर किया कि मैं अपने फ्यूचर को लेकर पहले कुछ फैसला कर लूं. माना (पत्नी) की सोच भी बिलकुल ऐसी ही थी. इससे हमें काफी हेल्प मिली और हम सोच समझ कर ही चीजों में खर्च और इन्वेस्ट करते थे. कभी कभी हम लग्जरी चीजों में भी पड़ते थे लेकिन जिंदगी में सबसे अहम और सही फैसला रहा हमारा घर और बच्चों की एजुकेशन. माना और मैं खुद फिजूलखर्ची की बजाय फ्यूचर को काफी महत्व देते हैं. हम अपनी लिमिट्स जानते हैं और ये गैर जरूरी चीजों से दूर रहते हैं.
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