
अपने डांस और एक्टिंग के लिए मीनू मुमताज की गिनती 1950 और 1960 के दशक में बेहतरीन अभिनेत्रियों में से की जाती थी. यूं तो उन्होंने एक से एक हिट फिल्में दी है, लेकिन आज भी लोगों को उनकी कागज के फूल, चौदहवीं का चांद और साहिब बीवी और गुलाम की फिल्में याद हैं. बता दें, मुमताज ने एक इंटरव्यू में बताया कि, कैसे वह दिलीप कुमार और महमूद को हमेशा मरते दम तक याद रखेंगी.
उन्होंने कहा- दिलीप कुमार यानी युसूफ साहब के साथ मेरा फिल्म करने का सपना कभी पूरा नहीं होता है, अगर महमूद कभी मुझे रिकमंड नहीं करते.
मुमताज ने बताया कि उस समय युसूफ साहब की एक फिल्म आने वाली थी, जिसमें वह जुड़वा का किरदार निभा रहे थे. बता दें, जिस फिल्म की हम बात कर रहे हैं, वह साल 1967 में आई फिल्म "राम और श्याम" है. जिसमें मुमताज ने शान्ता नाम की लड़की किरदार निभाया था.
मुमताज कहा, मैं महमूद की हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी. उस समय मैं महमूद के साथ काम कर रही थी और पता चला कि यूसुफ साहब की एक फिल्म आने वाली है, जिसमें वह जुड़वा का किरदार निभाने वाले हैं. उस समय महमूद ने यूसुफ साहब से कहा था, कि मैं इस लड़की (मुमताज) के साथ काम कर रहा हूं और बहुत प्यारी लड़की है. अगर तुम इसके साथ काम कर लोगे तो इसकी जिंदगी बदल जाएगी.
जमकर की दिलीप कुमार की तारीफ
मुमताज ने आगे कहा, यूसुफ साहब इतने प्यारे और अच्छे इंसान थे, कि उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता. उन्होंने महमूद से कहा, कि उस लड़की को लेकर आओ,. मैं लंच ब्रेक में उनसे बात करता हूं और जो मुमताज का काम है, वो दिखा देना. बता दें, उस समय यूसुफ साहब को दिखाने के लिए महमूद मेरी काम की रील लेकर गए थे. जिसके बाद उन्होंने मेरे काम की काफी तारीफ की और लड़की बहुत अच्छी है. मैं उनके साथ फिल्म कर लूंगा.
मुमताज ने बताया कि दिलीप कुमार के साथ काम करना मेरे करियर की बहुत बड़ी अचीवमेंट थी. मैंने जब उनके साथ काम कर लिया, उसके बाद एक से एक फिल्मों के ऑफर मेरे पास आने लगे और कोई भी ऐसी फिल्म नहीं थी जिसने मुझे रिजेक्ट किया हो. मेरा नाम उस समय टॉप अभिनेत्रियों की लिस्ट में शामिल हो गया था. इसी के साथ मुमताज ने कहा कि, मैं महमूद की भी काफी आभारी रहूंगी.
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