चांदनी बार, पेज 3, फैशन और हीरोइन जैसी फिल्मों के लिए जाने जाने वाले मधुर भंडारकर बॉलीवुड का लोकप्रिय नाम हैं. फिल्म निर्माता ने इस मुकाम तक पहुंचन के लिए कड़ी मेहनत की. पैसों की कमी के कारण उन्हें बीच में ही स्कूल छोड़ना पड़ा. मधुर भंडारकर ने इंडस्ट्री में आने से पहले वीडियो कैसेट पहुंचाने जैसे छोटे मोटे- काम किए. फिल्म निर्माता ने याद किया कि उन्होंने ये कैसेट मुंबई में सेक्स वर्कर्स से लेकर और अंडरवर्ल्ड और लोकप्रिय बॉलीवुड हस्तियों तक लगभग सभी को पहुंचाए.
मधुर ने पिंकविला से बातचीत में कहा, 'हमारे परिवार में कुछ ऐसे हालात आए कि हम गरीबी रेखा से काफी नीचे चले गए. मैं स्कूल भी नहीं जा सकता था और मैं फेल भी हो गया. इसलिए मैंने छोटी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. उस समय, साल 1983-84 में वीडियो कैसेट चलन में आए और मुझे लगा कि यह एक व्यवसाय हो सकता है. इसलिए मैं एक जगह से 10 रूपए में कैसेट खरीदता और दूसरों को 30 रूपए में बेच देता. मैंने पहली बार 1982 में एक डिलीवरी बॉय के रूप में शुरुआत की थी. अपना खुद का बिजनेस शुरू करने से पहले तीन से चार महीनों के लिए मैं दूसरों के लिए कैसेट बेचता था. पैसे आने लगे, मैं सभी घरों में कैसेट पहुंचा देता.”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने साइकिल से शुरुआत की और बाद में एक स्कूटर लिया. तीन साल तक मैंने हर तरह के लोगों को कैसेट पहुंचाए. इनमें सेक्स वर्कर, बीयर बार की लड़कियां, अंडरवर्ल्ड, बंगलों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ झुग्गी-झोपड़ियों और बॉलीवुड के लोगों को से लेकर पुलिस वाले भी थे. मैंने सुभाष घई, राज सिप्पी और मिथुन चक्रवर्ती के घरों में कैसेट पहुंचाए. मिथुन दा को मुझ पर बहुत गर्व है और वह कहते हैं कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं वही बच्चा हूं, जिसने मुझे कैसेट दिया. उनकी पत्नी बहुत दयालु महिला थीं और जब भी मुझे पैसे की जरूरत होती थी, वह मुझे एडवांस में पैसे देती थीं. उस घर से मुझे ढेर सारा प्यार मिला.”
हालांकि, कुछ सालों बाद वीडियो कैसेट इतने आम हो गए कि मधुर का बिजनेस फ्लॉप हो गया. तब वह जींस में ज़िप जोड़ने जैसे काम करने लगे. फिर वह मस्कट में बहन के पास रहने लगे. मुंबई लौटने से पहले वहां और फिर दुबई की फैक्ट्रियों में काम किया . बाद में वह मुंबई लौटे और फिल्मों के सेट पर हेल्पर के रूप में काम करना शुरू किया.
मधुर भंडारकर ने बाद में राम गोपाल वर्मा को असिस्ट किया और 1999 की फिल्म त्रिशक्ति में बतौर निर्देशक डेब्यू की. 1995 की आई फिल्म रंगीला में एक छोटा सा रोल किया. उन्हें सफलता मिली 2001 में आई फिल्म चांदनी बार से और इस फिल्म से सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला. हाल ही में उनकी फिल्म बबली बाउंसर डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई.
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