
एकता कपूर इस हफ्ते अपना 50वां जन्मदिन मना रही हैं, और ये पल इसलिए भी खास है क्योंकि इस साल वो एक प्रोड्यूसर के तौर पर अपने 30 साल भी पूरे कर रही हैं. और ये साल उनके लिए कमाल का साबित हो रहा है. 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की वापसी हो, अक्षय कुमार और प्रियदर्शन की आइकॉनिक जोड़ी के साथ उनकी नई फिल्म 'भूत बंगला', या फिर टीवीएफ के साथ उनकी पहली कोलैबरेशन 'VVAN' जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा और तमन्ना भाटिया नज़र आएंगे. एकता एक बार फिर ये साबित कर रही हैं कि क्यों आज भी वो इंडियन एंटरटेनमेंट की सबसे मजबूत आवाज़ों में से एक हैं.
जब एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में ज़्यादातर बड़े नाम अपनी पहचानें मिलाकर काम करते हैं, कोई एक्टर-डायरेक्टर बन जाता है, कोई डायरेक्टर-प्रोड्यूसर, कोई प्रोड्यूसर से जज और कोई स्टाइलिस्ट. वहीं एकता कपूर उन चंद लोगों में से हैं जो एक "प्योर प्रोड्यूसर" के तौर पर अपनी जगह बना चुकी हैं. उन्होंने सिर्फ अपनी क्रिएटिव समझ, कहानी कहने की कला और देश के कल्चर की नब्ज़ पकड़ने की काबिलियत पर एक ब्रांड खड़ा किया है. जहां बाकी लोग कैमरे के सामने आने के बिना अधूरे लगते हैं, वहीं एकता को कभी कैमरे में आने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी. उनका नाम ही भरोसे, दिलचस्पी और दर्शकों की गारंटी बन चुका है और वो भी हर मीडियम और हर पीढ़ी के लिए.
भारतीय टेलीविज़न को ‘हम पांच', ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी' और ‘कसौटी ज़िंदगी की' जैसे कल्ट शोज़ से नए मायने देने से लेकर, ‘द डर्टी पिक्चर', ‘लुटेरा', ‘उड़ता पंजाब' और फीमेल-ड्रिवन ‘वीरे दी वेडिंग' जैसी क्रिटिकली अक्लेम्ड फिल्मों को प्रोड्यूस करने तक, एकता कपूर का काम जितना बहुपक्षीय है, उतना ही साहसी भी. उनकी ओटीटी प्लेटफॉर्म ऑल्ट बालाजी ने भी ‘लॉक अप' और ‘द मैरिड वुमन' जैसे शो के ज़रिए वो विषय उठाए, जिन्हें छूने से भी ज़्यादातर लोग कतराते हैं. उन्होंने हमेशा बोल्ड और आज के दौर से जुड़ी कहानियों को आगे बढ़ाया है.
अवॉर्ड्स तो खुद ही कहानी बयां कर देते हैं. एकता कपूर अब तक की इकलौती भारतीय महिला निर्माता हैं जिन्हें इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड मिला है. इसके साथ ही उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है. ये सिर्फ सफलता नहीं, बल्कि सम्मान से जुड़ी विरासत है. उनकी सोच ने हर स्क्रीन साइज़ के लिए कंटेंट को आकार दिया है, ड्राइंग रूम के टीवी से लेकर मोबाइल ऐप्स तक. और इसी के साथ, उनका नाम एक सांस्कृतिक पहचान बन चुका है.
एकता कपूर के 50वें साल की सबसे खास बात ये है कि वो आज भी फुल फॉर्म में खेल रही हैं. उनके लिए नया करना कोई नई बात नहीं है. कभी आइकॉनिक सीरियल को दोबारा ज़िंदा करती हैं, तो कभी टीवीएफ जैसे नए क्रिएटर्स के साथ हाथ मिलाती हैं. अब तो कॉमेडी के दिग्गजों को भी बड़े पर्दे पर वापस ला रही हैं. यही तरीका है उनका बदलते दौर के साथ खुद को भी बदलना और हर बार कुछ नया लेकर आना. ये काम हर कोई नहीं कर सकता, पर एकता जैसे समझदार और दूर की सोच रखने वाले प्रोड्यूसर के लिए ये जैसे आम बात हो गई है. एकता कपूर सिर्फ़ एक प्रोड्यूसर नहीं हैं, वो एक ब्रांड हैं. एंटरटेनमेंट की दुनिया का हिस्सा नहीं, बल्कि उसकी आर्किटेक्ट हैं. 50 की उम्र में वो अपने बीते सफ़र को देखकर ठहर नहीं रहीं, बल्कि अपने अगले बड़े चैप्टर की तैयारी में जुटी हैं.
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