लता दीदी  के जाने के बाद भावुक हुए डॉक्टर प्रतीत समदानी, बताया आखिरी समय कैसा था उनका व्यवहार

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का उपचार करने वाले डॉक्टर प्रतीत समदानी ने गायिका की मुस्कान को 'मोना लीसा' जैसी मुस्कान कहा.

लता दीदी  के जाने के बाद भावुक हुए डॉक्टर प्रतीत समदानी, बताया आखिरी समय कैसा था उनका व्यवहार

अंतिम क्षणों में भी लता जी के चेहरे पर मुस्कान थी

नई दिल्ली :

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का उपचार करने वाले डॉक्टर प्रतीत समदानी ने सोमवार को लता जी को लेकर अपनी भावनाएं वयक्त कीं. उन्होंने गायिका की मुस्कान को 'मोना लीसा' जैसी मुस्कान कहा. उन्होंने कहा कि लता दीदी की बिगड़ती सेहत को देखना बेहद मुश्किल रहा. डॉ समदानी ने मंगेशकर की करिश्माई मुस्कान और अस्पताल कर्मियों के साथ उनके जुड़ाव को याद किया और मंगेशकर के निधन को निजी क्षति कहते हुए दुख व्यक्त किया.  समदानी ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ''लताजी की दो निजी नर्सें थीं और वह अस्पताल की नर्सों से भी स्नेह करती थीं. मेरी पूरी टीम को उनसे स्नेह था. उन्होंने कहा कि हमने उनके इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर ईश्वर की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती.   

बता दें कि लगभग आठ दशकों तक अपनी आवाज से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाली लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया था. शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान के साथ मंगेशकर का अंतिम संस्कार किया गया. डॉ. प्रतीत समदानी ने कहा कि उनकी मुस्कान बेशकीमती थी. इस मुस्कान का कर्मचारियों पर भी तत्काल प्रभाव पड़ता था. जब वह मुस्कुराती थीं तो हम बेहद खुश होते थे. उनकी मुस्कान से हमारा उत्साह बढ़ जाता था.

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डॉक्टर ने बताया कि वह जो भी इलाज जरूरी होता था, उसके लिए हमेशा तैयार रहती थीं. इलाज से बचने का उन्होंने कभी कोई प्रयास नहीं किया. अपने अंतिम क्षणों में भी उनके चेहरे पर मुस्कान थी. पिछले कुछ वर्षों से उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था और इसलिए वह किसी से ज्यादा नहीं मिल पाती थी. डॉक्टर ने बताया कि सेप्टिक शॉक के कारण उनका निधन हुआ. इसमें मरीज के कई अंग एक साथ क्षतिग्रस्त हो निष्क्रिय (मल्टी ऑर्गन फेल्योर) हो जाते हैं.