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एनिमल से भी ज्यादा इस फिल्म में क्रूर विलेन बने थे बॉबी देओल, जानें किस दिन देख सकेंगे टीवी पर

तैयार हो जाइए एक ऐसी दुनिया में कदम रखने के लिए, जो जितनी भव्य है, उतनी ही दिल दहला देने वाली भी है. कंगुवा- पुनर्जन्म, बदले और जुनूनी जज़्बातों की वह दास्तान है

एनिमल से भी ज्यादा इस फिल्म में क्रूर विलेन बने थे बॉबी देओल, जानें किस दिन देख सकेंगे टीवी पर
एनिमल से भी ज्यादा इस फिल्म में क्रूर विलेन बने थे बॉबी देओल
नई दिल्ली:

तैयार हो जाइए एक ऐसी दुनिया में कदम रखने के लिए, जो जितनी भव्य है, उतनी ही दिल दहला देने वाली भी है. कंगुवा- पुनर्जन्म, बदले और जुनूनी जज़्बातों की वह दास्तान है, जहां कबीलों की टक्कर, योद्धाओं का जुनून और सदियों पुराने वादों का एक जोरदार मेल देखने को मिलेगा. समय के इस चक्र में देखिए सूर्या को एक ऐसे अवतार में, जैसा आपने पहले कभी नहीं देखा होगा और बॉबी देओल को एक खतरनाक, अप्रत्याशित विलेन के रूप में, जिसमें वे पूरी तरह बदले हुए अंदाज़ में नज़र आते हैं. दमदार परफॉर्मेंस, हैरतअंगेज़ विजुअल्स और जबर्दस्त ट्रांसफॉर्मेशन से भरी यह फिल्म ओटीटी से पहले टीवी पर धमाल मचाने आ रही है. तो तैयार हो जाइए इस बेमिसाल वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर के लिए, रविवार 20 जुलाई, रात 8 बजे, सिर्फ ज़ी सिनेमा पर.

सुपरहिट फिल्मों ‘विश्वासम' और ‘वेदालम' के निर्देशक शिवा की यह मेगा फिल्म कंगुवा आपको एक ऐसी अनोखी दनिया में ले जाती है, जहाँ हर डिटेल का अपना एक मकसद है. हर कबीले की संस्कृति, उनके रीति-रिवाज़, पहनावे से लेकर उनके हथियारों तक, सब कुछ इतनी खूबसूरती से गढ़ा गया है कि ये प्राचीन होते हुए भी पूरी तरह आपको अपनी दुनिया में खींच लेते हैं. दो जन्मों की कहानी को बड़ी ही खूबसूरती से बयाँ करती कंगुवा का हर सेट, हर दृश्य और हर मोड़ आपको एक जज़्बाती और जबर्दस्त अनुभव देता है. अपनी थिएटर रिलीज़ पर इस फिल्म ने दुनिया भर के दर्शकों को चौंका दिया था और बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई की थी. और अब, टीवी दर्शकों के लिए यह अनुभव फिर से लौट रहा है और तो और इस बार और भी ज्यादा असरदार अंदाज़ में.

जब एक निडर योद्धा करता है ऐसा वादा, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता, तब शुरू होती है एक गाथा, जो जन्मों तक गूँजती है. दो टाइमलाइन्स को जोड़ने वाली यह कहानी बताती है कि कैसे सदियों पुराने एक महान योद्धा और एक छोटे-से बच्चे की कड़ी एक रहस्यमय मोड़ पर आकर आज के समय में फिर जुड़ती है. सवाल उठता है कि क्या जन्मों के पार जाकर किस्मत खुद को फिर से लिख सकती है?
 

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