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इस एक्ट्रेस को फिल्मों में मिलते थे आज्ञाकारी बेटे, असल जिंदगी में दर्दभरा रहा अंत, ना मिला प्यार ना किसी का साथ

क्या आप जानते हैं जहां अचला हर फिल्म में मां का किरदार निभाती थीं और उनके बेटे कहानी के हीरो हुआ करते थे, वहीं उनकी असल जिंदगी में सबकुछ उलटा था.

इस एक्ट्रेस को फिल्मों में मिलते थे आज्ञाकारी बेटे, असल जिंदगी में दर्दभरा रहा अंत, ना मिला प्यार ना किसी का साथ
दो बार शादी, फिर भी अकेलेपन में हुई मौत
नई दिल्ली:

हेडलाइन पढ़कर आप सोच में पड़ गए होंगे तो चलिए बता देते हैं कि हम बात कर रहे हैं एक्ट्रेस अचला सचदेव की जो बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस रही हैं. अचला ने 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. इस एक्ट्रेस को समझदारी, भोलेपन और सादगी से भरे रूप की वजह से हमेशा मां के किरदार में पसंद किया जाता था और अचला लगभग हर फिल्म में मां की किरदार में नजर आती थीं. चाहे आरजू में राजेंद्र कुमार की मां, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में सिमरन की दादी, या फिर कभी खुशी कभी गम में राहुल और रोहन की दादी वो हमेशा ऐसे किरदारों में खूब जचती थीं.

एक्ट्रेस के शुरूआती दिनों की बात करें तो पिता के गुजर जाने के बाद अचला ने बहुत छोटी उम्र में ऑल इंडिया रेडियो में काम करना शुरू किया. साल 1950 में दिलरुबा फिल्म से अचला ने डेब्यू किया जहां उन्होंने देव आनंद की बहन का किरदार निभाया. फिल्म के सफल होने के बाद एक्ट्रेस को कई फिल्मों के ऑफर आए जिन्हें अचला ने खुशी खुशी स्वीकार किया. इसके बाद अचला को इंडिस्ट्री में पहचान के साथ साथ पॉपुलैरिटी भी मिली.

असल जिंदगी में मिला बहुत दर्द

क्या आप जानते हैं जहां अचला हर फिल्म में मां का किरदार निभाती थीं और उनके बेटे कहानी के हीरो हुआ करते थे, वहीं उनकी असल जिंदगी में सबकुछ उलटा था. अचला ने फिल्म डायरेक्टर ज्ञान सचदेव से शादी की थीं और दोनों का एक बेटा जोथिन सचदेव भी था. कुछ समय बाद अचला और ज्ञान के डाइवोर्स के बाद जोथिन अमेरिका चले गए थे. अचला ने क्लिफोर्ड डॉग्लस पीटर्स से दूसरी शादी की लेकिन कुछ समय बाद उनके पति का देहांत हो गया और अचला एक बार फिर अकेली हो गईं. अचला पुणे में रहने लगीं और हालत ऐसी थी कि अपना खुद का रोजमर्रा का काम भी उनके लिए मुसीबत बन गया था. अपनी इसी कमजोरी के चलते वो 2011 में एक हादसे का शिकार हुईं.

किचन में काम करते हुए उनका पैर फिसला और फ्रैक्चर हो गया.कुछ समय बाद कुछ ब्रेन एम्बोलिस्म की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा लिया गया. यहां उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती ही गई. उनकी आंखों की रोशनी चली गई. शरीर को लकवा मार गया था. किसी तरह कुछ दिन अस्पताल में कटे और आखिर में 30 अप्रैल 2012 को आखिरी सांसें लीं.  
 

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