युवाओं के हीरो कोहली की कहानी कुछ फिल्मी सी, बस अब परीकथा जैसे अंत की जरूरत

विज्ञापन
हिमांशु जोशी

विराट कोहली का क्रिकेट सफर किसी प्रेरणादायक फिल्म की तरह है, जिसमें संघर्ष, सफलता, असफलता और पुनः संघर्ष की कहानी है. उनकी आक्रामकता और आत्मविश्वास हर युवा के जोश और मेहनत का आईना बन गए हैं. मैदान पर उनका हर रन के बाद सिर ऊंचा कर चिल्लाना, जैसे हर भारतीय युवक का गुस्सा, जोश और मेहनत उन्हीं में उतर आया हो.

शुरुआत: सचिन के साथ खड़ा युवा

2008 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे डेब्यू के वक्त कोहली की उम्र 19 साल 9 महीने थी. भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज मौजूद थे, फिर भी कोहली ने न झिझकते हुए निडर होकर अपनी पहचान बनाई. नेट्स में घंटों अभ्यास, मैदान पर हर शॉट में आक्रामकता और जोखिम लेने की क्षमता ने दिखाया कि यह खिलाड़ी किसी की छाया बनने वाला नहीं, बल्कि खुद पहचान बनाने वाला है. युवा कोहली की शुरुआत ही यह संकेत थी कि वे अपने समय के सबसे बड़े बल्लेबाज बनने वाले हैं. 2012 से 2016 के बीच आईपीएल में उन्होंने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के लिए खेलते कई बार टीम को जीत दिलाई और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी वनडे व टी20 में लगातार शतक लगाए, तब उनके आक्रामक शैली और लीडरशिप के कारण 'किंग कोहली' का टैग लोकप्रिय हुआ.

किंग कोहली से 'चेज मास्टर'

2016 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिल्ली में वनडे सीरीज का एक अहम मैच खेला, जिसमें 350 से अधिक के लक्ष्य का पीछा करना था. कोहली ने 122 रन की निर्णायक पारी खेली, जिसने न केवल टीम को जीत दिलाई, बल्कि युवा दर्शकों में आत्मविश्वास की लहर दौड़ा दी. दबाव की स्थिति में संयम और आक्रामकता के बीच उनका बैलेंस, हर गेंद पर फोकस और हर रन के बाद दिखाई देने वाला जोश यह दिखाते थे कि मानसिक मजबूती और तैयारी से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं. उनकी इस तरह की कई पारियों ने उन्हें किंग कोहली के साथ एक नया नाम दिया 'चेज मास्टर'.

RCB और आईपीएल में समर्पण

आईपीएल में विराट कोहली की यात्रा संघर्ष और समर्पण से भरी रही. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु से शुरुआत करने वाले कोहली ने टीम को कई बार फाइनल तक पहुँचाया, लेकिन ट्रॉफी हाथ नहीं लगी. कप्तानी (2013-2021) के दौरान उनकी टीम ने जीत और हार दोनों का सामना किया, लेकिन कोहली ने कभी टीम नहीं छोड़ी. 2025 में आखिरकार RCB ने 18 साल बाद ट्रॉफी जीती और कोहली की आंखों में उस जीत का भाव साफ झलक रहा था. यह जीत उनके धैर्य, मेहनत और निष्ठा की कहानी थी, जिसने हर युवा को यह सिखाया कि कठिनाई में भी टिके रहना ही असली ताकत है.

2019 वर्ल्ड कप: हार और ट्रॉलिंग का दौर

2019 वर्ल्ड कप विराट कोहली के करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण दौर था. कप्तान के रूप में उन्होंने 9 मैचों में 443 रन बनाए, लेकिन भारत सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हार गया. सोशल मीडिया पर उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा को भी गलत तरीके से निशाना बनाया गया. कोहली ने कहा कि इस समय का सामना करना उनके जीवन की सबसे कठिन परीक्षा थी. 

कप्तानी का दौर और पद छोड़ना

2013 में टेस्ट टीम की कप्तानी मिलने के बाद कोहली ने भारतीय क्रिकेट में आक्रामक ऊर्जा दिखाई. टीम ने विदेशों में जीत दर्ज की और रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया. लगातार जिम्मेदारी और दबाव के कारण 2022 में उन्होंने कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि अब वे सिर्फ बल्लेबाज के रूप में खेल का आनंद लेना चाहते हैं. यह कदम भावनात्मक था, लेकिन उनकी परिपक्वता और आत्मसम्मान को दर्शाता था.

Advertisement

कोरोना का असर और फिर बल्ले की खामोशी

कोविड-19 के दौरान क्रिकेट रुका और कोहली का बल्ला भी शांत हो गया. 2020 से 2022 तक उनके शतक नहीं आए और आलोचना लगातार बढ़ती रही. उनके प्रदर्शन में गिरावट ने उनके आत्मविश्वास पर असर डाला और उन्हें अपने खेल और मानसिकता पर नए सिरे से ध्यान देना पड़ा.

कोरोना के बाद भी विराट

कोहली के लिए मुश्किलें खत्म नहीं हुईं. 2025 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट सीरीज के दौरान उनका बल्ला मानो पीछे हट गया. बार-बार ऑफ-स्टम्प की गेंदों पर आउट होना उनके लिए तकनीकी और मानसिक चुनौती बन गया. वही गेंदें, जिन पर कभी वह बड़े शॉट खेलते थे, अब उन्हें छूती ही नहीं थीं. टेस्ट में लगातार असफलता ने उनके आत्मविश्वास पर गहरा असर डाला और कोहली की आलोचना तेज हो गई.

Advertisement

अब वनडे सीरीज में भी स्थिति अलग नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही तीन मैचों की वनडे सीरीज में कोहली लगातार दो पारियों में शून्य पर आउट हो गए हैं, जिससे उनकी आलोचना चरम पर पहुंच गई है. 

विश्व क्रिकेट में विराट कोहली का सम्मान

विराट कोहली को विश्व क्रिकेट में एक महान बल्लेबाज के रूप में देखा जाता है. इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने उन्हें अब तक का सबसे कठिन प्रतिद्वंद्वी बताया है. न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान केन विलियमसन ने उन्हें पिछले 15 वर्षों का सबसे महान खिलाड़ी कहा. पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शाहीन अफरीदी ने भी उनकी सराहना करते कहा कि मैं हमेशा विराट कोहली का प्रशंसक रहा हूं. विराट कोहली का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्थान और सम्मान उनके निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन और समर्पण को दर्शाता है. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया में दर्शक उनकी झलक पाने को बेताब रहते हैं और तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया जाता रहा है.

Advertisement

वापसी और पुराना जज़्बा लौटता रहा है

कोहली को चूका हुआ मान लेता गलती होगी, उन्होंने हमेशा वापसी की है. 2022 एशिया कप में कोहली ने अफगानिस्तान के खिलाफ नाबाद 122 रन बनाकर अपनी वापसी की. IPL में भी फॉर्म लौट आया और 2024-25 टी20 विश्वकप में उनकी निर्णायक पारी ने भारत की जीत में अहम योगदान दिया. उनके हर शॉट में वही जुनून, वही आक्रामकता और वही आत्मविश्वास दिखाई दिया जिसने उन्हें शुरुआत से अलग बनाया.

निजी जीवन और स्थिरता

अनुष्का शर्मा के साथ विराट कोहली का रिश्ता उनके जीवन का आधार रहा है. ट्रॉलिंग और आलोचना के बावजूद दोनों ने संयम बनाए रखा. कोहली ने कई बार कहा कि अनुष्का ने मुझे बेहतर इंसान बनाया. यह दिखाता है कि मैदान पर सफलता पाने के लिए निजी जीवन में शांति और संतुलन कितना जरूरी है.

Advertisement

हर युवा में खुद को देखने की क्षमता

कोहली का मैदान पर गुस्सा, फोकस और आक्रामकता हर युवा के भीतर छिपी महत्वाकांक्षा का रूप है. यही वजह है कि युवा उन्हें देखते ही अपने जोश, गुस्से और मेहनत में खुद को महसूस करते हैं. उनकी कहानी फिल्मी लगती है, पर अब हर फैन को बस उस परीकथा जैसे अंत का इंतजार है, जब कोहली एक बार फिर किसी विश्वकप फाइनल में भारतीय तिरंगे के नीचे बल्ला उठाते नजर आएं.

अस्वीकरण: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं, उससे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.

Topics mentioned in this article