This Article is From Dec 25, 2020

किसानों के सवाल बड़े हैं या 2000 रुपये का सम्मान बड़ा है

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Ravish Kumar

आज अटल बिहारी वाजपेयी जयंती पर प्रधानमंत्री किसानों को सम्मानित करेंगे. 9 करोड़ किसानों के खाते में 2000 की किश्त जाएगी. प्रधानमंत्री को पैसे की ताक़त में बहुत यक़ीन है. इसलिए वे आंदोलनरत किसानों से बात नहीं कर इस राशि के बहाने किसानों से बात करेंगे. उन्हें यक़ीन है कि खाते में पैसा जाते ही किसान किश्त की बात करने लगेंगे. किश्त की जयकार करते हुए क़ानून के जयकारे लगाने लगेंगे. यह राशि किसानों के सम्मान और आंदोलन के बीच एक रेखा है. किसानों को तय करना है कि दो हज़ार के साथ दलाल और आतंकवादी कहा जा सकता है या दो हज़ार के साथ माँगे मान कर सम्मान चाहिए. 

आज के आयोजन के लिए जो पैसा खर्च हो रहा है उसका कोई हिसाब नहीं. अनुमान ही लगा सकते हैं कि जब ज़िला से लेकर पंचायत स्तर पर कार्यक्रम होंगे तो उस पर कितने पैसे खर्च होंगे.किराये के टीवी स्क्रीन से लेकर कुर्सी वग़ैरह का इंतज़ाम होगा.अलग अलग योजनाओं के पैसे इसके आयोजन पर खर्च किए जा रहे हैं या अलग से बजट होता है. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि आज के आयोजन पर पाँच सौ करोड़ ख़र्च हो रहा है या छह सौ करोड़ या दो सौ करोड़. हाल ही में गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों से बात करने का आयोजन किया गया जिस पर भी कुछ पैसे खर्च हुए ही होंगे. 

ज़िलाधिकारी से लेकर ब्लाक स्तर के सरकारी कर्मचारियों का एक मुख्य काम प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों का आयोजन कराना हो गया है. कृषि विभाग और इसके संस्थानों के लोगों को भी यह काम करना होता है. pmevents.ncos.gov.in की साइट पर पंजीकरण कराना होता है. आज सुबह देखा तो  25 दिसंबर के कार्यक्रम के लिए आठ करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराए हैं. यह संख्या अविश्वसनीय लगती है. 

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इसकी डेटा ऑडिट की जाना चाहिए ताकि पता चले कि इस पर पंजीकरण कराने वाले लोगों में कर्मचारी और उनके रिश्तेदार कितने हैं. क्या वाक़ई आठ करोड़ किसानों ने खुद से पंजीकरण कराया है या इस योजना के तहत जिनके खाते में पैसे जाने हैं उनसे कहा गया है कि पंजीकरण करें या उनके बिना पर बिना उनकी जानकारी के पंजीकृत कर दिया गया है. इस कार्यक्रम के लिए किए गए पंजीकरण की कोई न कोई कहानी ज़रूर होगी.  

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किसान आंदोलन पर प्राइम टाइम का यह 21 वाँ एपिसोड है. 

Video: किसान आंदोलन को लेकर आखिर बेसब्र क्यों होने लगे हैं लोग

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