आपके सामने दो तस्वीरें रखतें हैं- पहली तस्वीर- देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे तभी 21 मई, 1991 को आतंकवादियों ने मानव बम के जरिए राजीव गांधी की हत्या कर दी. उनकी असामयिक मौत के बाद 22 मई को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई. सवाल था- कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा? अब दूसरी तस्वीर- 21 मई से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के बड़े नेता नरसिंह राव जिनका पूरा नाम पामुलपर्थी वेंकट नरसिंहा राव था के घर पर रॉजर्स रिमूवल कंपनी का ट्रक आकर रुकता है. जिसमें राव की किताबों के 45 कार्टन और उनके पसंदीदा कंप्यूटर रखे जाते हैं. इसके बाद ये ट्रक हैदराबाद रवाना हो जाता है.नरसिंहा राव दिल्ली छोड़ने का मन बना चुके थे. उन्होंने इंडिया हैबिटाट सेंटर में सदस्यता के लिए अप्लाई भी कर दिया ताकि दिल्ली आने पर उनके ठहरने का इंतजाम हो सके. दरअसल नरसिंहा राव के मन में सवाल था- अब दिल्ली में उनका क्या काम? आप सोच रहे होंगे कि मैं इन दो सवालों को एक साथ क्यों बता रहा हूं तो आपको बता दूं कि इन्हीं दो सवालों के जवाब में छुपा है भारत की आर्थिक आजादी का जवाब...इसी पर बात करते हैं NDTV इतिहास की अगली पेशकश में
अब बात शुरू करते हैं पहले सवाल के जवाब से- 22 मई की कांग्रेस वर्किंग कमेटी की इमरजेंसी मीटिंग में मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह ने सोनिया गांधी को पार्टी लीडर चुने जाने की वकालत की. सब इस पर सहमत भी थे लेकिन खुद सोनिया गांधी ने इससे इनकार कर दिया. इसके बाद बाकी नेताओं ने अपनी दावेदारी के लिए दांव-पेंच आजमाने शुरु किए क्योंकि जो कांग्रेस अध्यक्ष होता वही प्रधानमंत्री भी होता. तब दौड़ में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार सबसे आगे बताए जा रहे थे. मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह और एनडी तिवारी के दावेदारी की भी खबरे थीं. लेकिन सोनिया गांधी इससे सहमत नहीं थीं. उन्होंने अपने प्रधान सचिव पीएन हक्सर से पूछा- कौन हो सकता है सही उम्मीदवार? हक्सर ने बताया- उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा. इसके बाद सोनिया गांधी ने शंकर दयाल शर्मा के पास संदेश पहुंचवाया. शर्मा ने इसके लिए सोनिया गांधी को शुक्रिया कहा और ये कहते हुए प्रस्ताव पर इनकार कर दिया कि उनकी उम्र इस पद को निभाने लायक नहीं रही. इसके बाद पीएन हक्सर ने सोनिया को पीवी नरसिंहा राव का नाम सुझाया.
बहरहाल 21 जून को पीवी नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. वो 16 मई 1996 तक इस पर पर रहे. वे पहले गैर गांधी थे जो पांच सालों तक बतौर प्रधानमंत्री काम कर पाए. उनके प्रधानमंत्री रहते हुए देश को आर्थिक आजादी मिली जिसकी बदौलत हम 2047 में विकसित भारत बनने का सपना देख रहे हैं. एक दिलचस्प किस्सा और आपको बता देते हैं...पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जब प्रधानमंत्री बने थे तब नरसिंहा राव उनके पास अब्दुल कलाम और चिदंबरम के साथ मिलने गए थे और कहा था- बम रेडी है आप जब चाहें परीक्षण कर लीजिए.
साल 2004 में जब नरसिंहा राव के देहांत हुआ तो खुद वाजपेयी ने कहा था- मैं नहीं खुद नरसिंहा राव भारत के परमाणु कार्यक्रम के असली पिता हैं. मैंने तो सिर्फ परीक्षण किया...सामग्री तो उन्होंने तैयार की थी. नरसिंहा राव के बारे में कांग्रेस के बड़े नेता जयराम रमेश ने कहा था- मैं राव की तुलना चीन के नेता डेंग ज़ियाओ पिंग से करता हूं.दोनों बुज़ुर्ग नेता थे. दोनों के करियार में कई उतार चढ़ाव आए लेकिन जब उन्हें मौका मिला दोनों ने चारों ओर अपनी छाप छोड़ी.
बहरहाल नरसिंहा को लेकर एक सवाल कई भारतीयों के मन में है- उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में क्यों नहीं हुआ...क्यों उनका पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय नहीं लाने दिया गया. शायद भविष्य या तब के जिम्मेदार लोग इस सवाल का माकूल जवाब दे पाएं. फिलहाल इन सवालों के साथ हम आपको छोड़े जा रहे हैं.