प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2025 को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. यह अवसर केवल उनके जीवन का एक पड़ाव नहीं बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय यात्रा का भी प्रतीक है. यह वह क्षण है जब दुनिया को यह देखना चाहिए कि किस तरह मोदी ने पिछले 11 सालों में भारत की सॉफ्ट पावर को नई पहचान दी है. उन्होंने इसे एक ऐसे स्तर तक पहुंचाया है, जहां भारत न केवल अपनी प्राचीन परंपराओं का गर्व करता है बल्कि आधुनिकता और आत्मविश्वास से विश्व का नेतृत्व करता है. भारत की विदेश नीति की परंपरा हमेशा सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रही है, लेकिन 2014 के बाद मोदी ने इस विरासत को एक जीवंत कथा और ब्रांड में बदल दिया.
नरेंद्र मोदी का संचार कौशल
मोदी का संचार कौशल सबसे पहले वैश्विक स्तर पर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में सामने आया, जब उन्होंने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा. यह प्रस्ताव केवल एक सांस्कृतिक पहल नहीं था, बल्कि एक गहरी कूटनीतिक रणनीति थी. उन्होंने योग को भारत की 'प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार' बताया और इसे पूरी दुनिया के स्वास्थ्य व कल्याण से जोड़ा. इस विचार को 177 देशों का समर्थन मिला, जो संयुक्त राष्ट्र में किसी भी प्रस्ताव के लिए अभूतपूर्व था. आज 'योग दिवस' दुनिया भर में मनाया जाता है. इसकी छवियां- राजपथ से लेकर न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय तक- भारत की सॉफ्ट पावर की सबसे प्रखर मिसाल हैं. मोदी ने योग को आधुनिक जीवनशैली के समाधान के रूप में प्रस्तुत कर भारत की प्राचीन परंपरा को वैश्विक आकर्षण में बदल दिया.
योग से आगे, मोदी ने प्रवासी भारतीयों को भारत की सॉफ्ट पावर का मुख्य वाहक बनाया. उन्होंने 2014 में न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में 20,000 भारतीय-अमेरिकियों से संवाद किया और कहा, ''मैं आपके सपनों का भारत बनाने आया हूँ.'' 2015 में लंदन के वेम्बली स्टेडियम में 60,000 लोगों के बीच उन्होंने कहा, ''भारत ने दुनिया को शून्य दिया, अब हम दुनिया को और बहुत कुछ देंगे.'' इन बयानों ने प्रवासी भारतीयों को भावनात्मक रूप से भारत से जोड़ा, मेजबान देशों को उनकी ताकत का एहसास कराया और भारतवासियों को यह गर्व दिलाया कि उनका नेता विश्व मंच पर सम्मान पा रहा है. ह्यूस्टन के 'हाउडी, मोदी' कार्यक्रम में जब अमेरिकी राष्ट्रपति उनके साथ मंच साझा कर रहे थे, तब यह स्पष्ट संदेश था कि भारत अब वैश्विक साझेदारियों का केंद्रीय स्तंभ है.
Narendra Modi Birthday: रेत से कलाकृतियां बनाने वाले अंतरराष्ट्रीय कलाकार सुदर्शन पटनायक ने पुरी बीच पर पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर यह कलाकृति बनाई.
नए नारे गढ़ने वाले नरेंद्र मोदी
मोदी के अंतरराष्ट्रीय संचार की एक विशेषता उनकी सरल और आकर्षक भाषा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ऐसे नारे दिए जो न केवल याद रखने में आसान हैं, बल्कि उनमें भारतीय दर्शन की झलक है. जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उन्होंने कहा, ''वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड.'' जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की थीम रही: 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर', यह 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को अभिव्यक्त करती है. यह संक्षिप्त लेकिन गहरी बातें दुनिया के नेताओं और जनता दोनों तक आसानी से पहुँचीं. इन नारों ने भारत की छवि को विचारों का नेतृत्व करने वाले राष्ट्र के रूप में मजबूत किया.
कोविड महामारी ने भारत को अपनी सॉफ्ट पावर प्रदर्शित करने का अभूतपूर्व अवसर दिया. मोदी ने 'वैक्सीन मैत्री' अभियान शुरू किया. इसके तहत भारत ने 90 से अधिक देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई. जब भारतीय वायुसेना के विमान 'गिफ्ट फ्रॉम द पीपल ऑफ इंडिया' लिखे बॉक्स लेकर अफ्रीका, एशिया और कैरेबियन पहुँचे, तो यह केवल दवा नहीं बल्कि भारत की करुणा और जिम्मेदारी का प्रतीक था. पश्चिमी शक्तियां जब अपने नागरिकों तक सीमित थीं, तब भारत ने विकासशील देशों को संबल दिया. इसने भारत को 'मानवता का विश्वसनीय साथी' के रूप में प्रतिष्ठित किया.
अंतरराष्ट्रीय फलक पर भारत की पहचान
2023-24 की जी-20 अध्यक्षता में मोदी ने भारत की सॉफ्ट पावर का शिखर दिखाया. दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में उन्होंने 'भारत' नाम की पट्टिका अपने सामने रखी, जिसने पूरी दुनिया में चर्चा छेड़ दी कि भारत अपनी सभ्यतागत पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर रहा है. इस सम्मेलन की थीम 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' ने यह दिखाया कि भारत वैश्विक सहमति गढ़ने वाला राष्ट्र है. मोदी ने भारत को 'लोकतंत्र की जननी' कहकर लोकतांत्रिक गर्व को भी वैश्विक विमर्श का हिस्सा बनाया. उनके नेतृत्व में जी-20 ने रूस-यूक्रेन विवाद जैसी कठिन परिस्थितियों के बावजूद सर्वसम्मत घोषणा पारित की, जिसने यह साबित किया कि भारत एक प्रभावी मध्यस्थ और सहमति गढ़ने वाला है.
अब तक भारत की सॉफ्ट पावर केवल संस्कृति और कूटनीति तक सीमित नहीं रही, बल्कि रचनात्मक उद्योगों और नई अर्थव्यवस्था तक विस्तारित हो गई. मुंबई में आयोजित पहला ‘वेव्स' (विश्व ऑडियो-विज़ुअल एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन) इसका उदाहरण है. मोदी ने इसका उद्घाटन करते हुए कहा, ''भारत में निर्माण करो, विश्व के लिए निर्माण करो.'' इस पहल ने भारत को फिल्म, गेमिंग, डिजिटल कंटेंट और मनोरंजन का वैश्विक केंद्र बनाने का संदेश दिया. इसमें 90 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए और भारत की सॉफ्ट पावर का नया आयाम सामने आया, 'क्रिएटिव इकोनॉमी' का. यह केवल सांस्कृतिक शक्ति नहीं, बल्कि आधुनिकता और नवाचार का संगम था.
अफ्रीका नीति ने भी भारत की सॉफ्ट पावर को गहराई दी है. 2025 तक अफ्रीका भारत की विदेश नीति का रणनीतिक क्षेत्र बन चुका है. मोदी ने वहां आर्थिक साझेदारी के साथ-साथ नौसैनिक अभ्यास, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग को प्राथमिकता दी. अफ्रीकी देशों के साथ भारत का संवाद केवल व्यवहारिक नहीं बल्कि मूल्य-आधारित रहा. इससे भारत को एक विश्वसनीय, सहृदय और रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाने लगा.
लोककलाओं की दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान
सांस्कृतिक प्रतीक और तोहफे भी मोदी के अंतरराष्ट्रीय संचार का हिस्सा रहे हैं. जून 2025 में उन्होंने ओडिशा की पारंपरिक हस्तकलाओं- पत्तचित्र, सिल्वर फाइलीग्री और कोणार्क चक्र की प्रतिकृतियाँ—विश्व नेताओं को भेंट कीं. ये तोहफे केवल शिष्टाचार नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और ग्रामीण कलाकारों की धरोहर का प्रतिनिधित्व थे. इस तरह के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण इशारे भारत की छवि को गहराई देते हैं और यह संदेश देते हैं कि भारत की आत्मा उसकी विविधता और कला में बसी है.
भाषा की अस्मिता भी मोदी की सॉफ्ट पावर की रणनीति का अंग रही है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर हिंदी को बढ़ावा दिया और कुछ राज्यों में मेडिकल शिक्षा को हिंदी में शुरू किया. मोदी का यह संदेश स्पष्ट है कि भारत अब अपनी भाषा के आत्मगौरव को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान का हिस्सा बना रहा है. यह कदम भारत को एक आत्मनिर्भर सांस्कृतिक शक्ति के रूप में पेश करता है.
Narendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर उनके चुनाव क्षेत्र वाराणसी में पूजा-पाठ करते बच्चे.
सॉफ्ट पावर के चार स्तंभ
इन सभी प्रयासों का सार यह है कि मोदी ने भारत की सॉफ्ट पावर को चार स्तंभों पर खड़ा किया है: सभ्यतागत गर्व और आधुनिकता, मानवता और सहानुभूति, लोकतांत्रिक आत्मविश्वास, और वैश्विक प्रासंगिकता. योग और आयुर्वेद भारत की प्राचीन परंपरा को आधुनिक समाधान के रूप में प्रस्तुत करते हैं. वैक्सीन मैत्री और मानवीय सहायता भारत की करुणा को उजागर करते हैं. जी-20 और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लोकतांत्रिक गर्व भारत की राजनीतिक पहचान को मजबूत करता है. और रचनात्मक अर्थव्यवस्था से लेकर अफ्रीका नीति तक की पहलें भारत की वैश्विक प्रासंगिकता को रेखांकित करती हैं.
आज जब मोदी 75 साल के हो रहे हैं, तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने भारत को केवल आर्थिक या सैन्य शक्ति के रूप में नहीं, बल्कि कथाओं का निर्माता बना दिया है. उन्होंने संचार को राज्यकला का प्रमुख उपकरण बनाया और भारत की आवाज को इस तरह प्रस्तुत किया कि दुनिया न केवल सुने बल्कि प्रभावित भी हो. यह उनकी सबसे बड़ी धरोहर होगी- भारत की वह छवि जो एक आत्मविश्वासी, आधुनिक, सहृदय और नेतृत्वकारी राष्ट्र की है. नरेंद्र मोदी केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं रहे, वे भारत के मुख्य कथाकार बने, जिन्होंने शब्दों और प्रतीकों से भारत को दुनिया के केंद्र में ला खड़ा किया.
डिस्क्लेमर: लेखक द इंडियन फ्यूचर्स थिंक टैंक के संस्थापक और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. इस लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं, उनसे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.