केजरीवाल की गिरफ्तारी से लोकसभा चुनाव में किसे फायदा?

Advertisement
Dharmendra Singh

क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी पर बुरा असर होगा? क्या उनकी गिरफ्तारी से बीजेपी पर उल्टा असर होगा? क्या 'इंडिया' गठबंधन को केजरीवाल की गिरफ्तारी से बड़ा हथियार मिल गया है, जिसके सहारे चुनावी वैतरणी पार किया जा सकता है. ये तमाम सवाल हैं, जिसकी तलाश की एक कोशिश है.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि आम आदमी पार्टी मतलब केजरीवाल और केजरीवाल मतलब आम आदमी पार्टी. केजरीवाल ही आम आदमी पार्टी की पहचान है, जान है, शान है और सबसे बड़ा चेहरा तथा पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकार हैं. जाहिर है कि केजरीवाल की इसी खूबी को आम आदमी पार्टी ढाल बनाकर दावा कर रही है कि गिरफ्तारी के बाद भी केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने रहेंगे? ऐसा क्यों? ऐसा इसीलिए है कि केजरीवाल के सीएम रहते हुए ही दिल्ली और पंजाब की कमान और पार्टी दोनों सुरक्षित रहेगी वरना सरकार और पार्टी पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे. पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे सरकार और पार्टी को बचाकर रखा जाए, वो एक ही चेहरा है, जिसने पार्टी और सरकार को बनाया है, वही बचा भी सकता है.

दूसरी बड़ी बात है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी ऐसे वक्त में हुई है कि जब लोकसभा चुनाव की तारीख का ऐलान भी हो गया है. पार्टी ने दिल्ली की चार सीट और पंजाब की आठ सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान भी कर चुकी है और मुख्यमंत्री प्रचार से लेकर रणनीति पर लगातार काम भी कर रहे थे, लेकिन इसी बीच उनकी गिरफ्तारी से पार्टी पर बड़ा संकट पैदा हो गया है. अब सवाल है कि इससे कैसे निपटेगी पार्टी. हालांकि पार्टी और नेताओं को पहले से पता था कि उनकी गिरफ्तारी होगी क्योंकि वो शराब घोटाले में ईडी के नौ बार के समन के बाद भी पेश नहीं हुए तो दूसरी तरफ दिल्ली में सर्वे भी करा लिया कि यदि केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं तो उन्हें क्या करना चाहिए? आम आदमी पार्टी के हवाले से खबर है कि सर्वे में एक बात मजबूती से उभरकर आई है कि दिल्लीवासी चाहते हैं कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएं. जाहिर है कि जो केजरीवाल सोच रहे हैं वो जनता भी सोच रही है हालांकि ये सर्वे कोई स्वतंत्र सर्वे नहीं है बल्कि पार्टी का सर्वे है.

Advertisement

ऐसा कोई नियम नहीं है, जो जेल से सरकार चलाने की मनाही करता हो. यही वजह है कि सहानुभूति के लिए केजरीवाल गिरफ्तारी से पहले स्क्रिप्ट लिख चुके हैं. केजरीवाल को लगता है कि जेल से सरकार चलाने से उनके प्रति सहानुभूति पैदा होगी और उसी सहानुभूति की लहर पर सवार होकर दिल्ली से पंजाब तक लोकसभा चुनाव जीते जा सकते हैं, लेकिन जेल से सरकार चलाना आसान नहीं है, क्योंकि केजरीवाल के दो मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन पहले से जेल में हैं. सबसे पहले तो मंत्रिमंडल से हटाने को लेकर ना-नुकुर की कोशिश हुई, लेकिन बाद में छुट्टी कर दी गई, लिहाजा उन्हें भी मालूम है कि जेल से सरकार या मंत्रालय का काम देखना आसान नहीं है, लेकिन चुनाव तक इसे आजमाया ही जा सकता है.

Advertisement

गौर करने की बात है कि देश में बीजेपी के बाद अगर किसी पार्टी का विस्तार हो रहा है तो वो है आम आदमी पार्टी. पहले दिल्ली जीती, फिर पंजाब जीती और दिल्ली का एमसीडी चुनाव भी जीत गई. यही नहीं आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय पार्टी भी बन चुकी है. पार्टी को जिंदा रखना है तो एक ही विकल्प है कि केजरीवाल को सीएम बनाकर रखना है. उसके तीन फायदे हैं सरकार सुरक्षित रहेगी, पार्टी सुरक्षित रहेगी और लोकसभा चुनाव में सहानुभूति वोट हासिल किया जा सकता है.

Advertisement

केजरीवाल का अपना प्लान है तो जाहिर है कि बीजेपी की भी अपनी रणनीति है. अगर बीजेपी को लगता है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से उन पर ही दांव उल्टा हो जाएगा तो शायद अभी केजरीवाल की गिरफ्तारी नहीं होती? दरअसल बीजेपी की तीन रणनीति लगती हैं कि अपने को सबसे बड़ा ईमानदार कहने वाले केजरीवाल को सबसे बड़ा भ्रष्ट साबित किया जाए. दूसरी नीति है आम आदमी पार्टी के सेनापति केजरीवाल जेल में रहेंगे तो उनका राजनैतिक लाव-लश्कर खामोश हो जाएगा और पार्टी में ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जिसका कद केजरीवाल जैसा हो. तीसरी नीति है कि एक छोटे से राज्य का सीएम दिल्ली के दिल पर बैठकर देश के प्रधानमंत्री को लगातार चुनौती देता है, उस पर लगाम लग जाएगी. बात दिल्ली तक ही सीमित नहीं है बल्कि बीजेपी की नजर पंजाब, हरियाणा और गुजरात पर भी है और ये भी संदेश देना है कि केजरीवाल ईमानदार नहीं, बल्कि भ्रष्ट है.

Advertisement

राजनीति में समय अहम होता है कि एक समय केजरीवाल सारी पार्टियों और नेताओं को भ्रष्ट कहते रहे, जिस पर नेता और पार्टी तिलमिलाते भी रहे, लेकिन समय का चक्र बदला तो केजरीवाल पर ही अब भ्रष्ट होने का आरोप है, लेकिन केजरीवाल जिन विपक्षी नेताओं को भ्रष्ट कहते रहे, वे खुद आज उनके साथ हैं. 'इंडिया' गठबंधन की लगभग सारी पार्टियां केजरीवाल के समर्थन में उतर गई हैं और केंद्र सरकार पर निशाना साध रही हैं.

दरअसल, लोकसभा चुनाव में विपक्ष इसे फिर मुद्दा बनाना चाहता है. इसके पहले झारखंड में मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन गिरफ्तार हो चुके हैं. केंद्रीय एजेसियों के कथित दुरुपयोग के इस मुद्दे को 'इंडिया' गठबंधन, खासकर कांग्रेस पार्टी की कोशिश जनता के बीच में ले जाने की है. अब देखना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी का फायदा होता है या नुकसान, इसके लिए लोकसभा चुनाव के नतीजे का इंतजार करना होगा.

धर्मेंद्र कुमार सिंह पत्रकार, चुनाव विश्लेषक और किताब 'विजयपथ - ब्रांड मोदी की गारंटी' के लेखक हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.