मेट्रो, मखाना से मंत्री पद तक...मिथिला पर क्यों है बीजेपी का फोकस

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Mihir Gautam

साल 2025 के विधानसभा चुनाव से महज सात-आठ महीने पहले मंत्रिमंडल विस्तार..बीजेपी कोटे से सात नए मंत्री बनाए गए हैं. प्रधानमंत्री के बिहार दौर के ठीक बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है. अब मंत्रिमंडल में बीजेपी का दबदबा है. लेकिन एक बात जिसपर गौर करने की जरूरत है वो है बीजेपी की तरफ से मंत्रिमंडल में मिथिला को तरजीह. बीजेपी ने जो सात नए मंत्री बनाए हैं उनमें तीन अकेले मिथिला से हैं. मिथिला से अब कुल नौ मंत्री नीतीश कैबिनेट में हैं. इसमें सबसे ज्याजदा चार मंत्री दरभंगा से हैं.दरभंगा को मिथिला की राजधानी माना जाता है. बीजेपी यहां जीत भी रही है. लेकिन ग्रामीण इलाकों पर अभी भी आरजेडी और जेडीयू की पकड़ है. इसे तोड़ने की कोशिश में बीजेपी दिख रही है. 

कितनी विधानसभा सीटें हैं मिथिला में

मंत्री पद की शपथ लेने के बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का अभिवादन करते जीवेश मिश्रा.

मिथिला की 50 सीटों पर बीजेपी की नजर है. यही वजह है कि पार्टी जाति समीकरण का पूरा ख्याल रख रही है. मल्लाह समाज से आने वाले हरि साहनी को पहले एमएलसी, फिर विधान परिषद में विपक्ष का नेता और फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया. बीजेपी अब उनका इस्तेमाल पूरे बिहार में कर रही है. मल्लाह समाज के एक बड़े चेहरे के रूप में मुकेश साहनी को काउंटर करने हरि साहनी मैदान में हैं. खुद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दरभंगा में मखाना अनुसंधान केंद्र पहुंचकर मखाना की खेती की. मखाना किसानों को सहयोग का भरोसा दिया गया. बड़ी संख्या में मल्लाह समाज के लोग इस अवसर पर जुटे. वहीं प्रधानमंत्री ने भागलपुर में मखाना को सुपरफूड बताते हुए कहा है कि वो साल में 300 दिन मखाना खाते हैं. बीजेपी समझती है कि मखाना पर ध्यान देने से जो इसकी खेती कर रहे हैं उन्हें ना सिर्फ मिथिला बल्कि पूर्णिया और बाकी जगहों पर भी फायदा होगा. 

बीजेपी के पास मीथिला के लिए क्या क्या है

दरभंगा में एयरपोर्ट, एम्स, मेट्रो, मखाना बोर्ड सहित कई योजनाओं को लाने का फायदा बीजेपी को पूरे मिथिला में हो रहा है. मेट्रो की बात करें तो सर्वे पूरा हो गया है, जल्द डीपीआर तैयार होने की उम्मीद है. सबकुछ सही रहा तो अगले पांच साल में दरभंगा में मेट्रो ट्रेनें चलेंगी. वहीं बीजेपी जातिगत समीकरण का भी मिथिलांचल में खास ख्याल रख रही है. संजय सरावगी लंबे समय से विधायक हैं. मिथिलांचल में वैश्यों का बड़ा वोटबैंक बीजेपी के साथ है. लिहाज़ा चुनाव से ठीक पहले वैश्य समाज से मंत्री बनाकर बीजेपी ने संदेश दिया है कि उन्हें इस समाज का ख्याल है. वहीं जीवेश मिश्रा को मंत्री बनाकर बीजेपी ने बताया है कि परंपरागत सवर्ण वोटरों को उसे ख्याल है. इसी इलाके से हरि साहनी को पिछली बार मंत्री बनाकर बीजेपी ने पिछड़ी जातियों खासकर मल्लाह समाज को खुद से जोड़ने की कोशिश की है. 

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दरभंगा के एक खेत में मखाने की बेल रोपते केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान.

अगर मोदी कैबिनेट की बात करें तो मिथिला से तीन मंत्री हैं. नित्यानंद राय पर लगातार प्रधानमंत्री भरोसा जताते रहे हैं. उनकी बिहार बीजेपी की रणनीति में अहम भूमिका रही है. नित्यानंद राय के साथ ही गिरिराज सिंह और रामनाथ ठाकुर भी मंत्री बने.

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मीथिला में क्या क्या साध रही है बीजेपी

बीजेपी जिस तरह मिथिलांचल पर फोकस कर रही है, उससे साफ है कि जो सीटें यहां पार्टी नहीं जीत पाती है उनपर भी जीत की पूरी कोशिश होगी, जिससे विधानसभा में विधायक बढ़े. दरअसल नीतीश कुमार की ज्यादातर योजनाएं नालंदा और उसके आसपास दिखती हैं, जैसे ग्लास ब्रिज,स्टेडियम और भी बहुत सारी योजनाएं हैं. हालाकि ऐसा नहीं है कि बाकी जगह के लिए योजनाएं नहीं हैं. लेकिन फिर भी मिथिलांचल को काफी कुछ का इंतजार रहा है. लिहाजा केंद्र से सीधे कई योजनाएं मिथिलांचल में लाने का फायदा बीजेपी को मिल सकता है. बीजेपी योजनाओं को साथ-साथ जाति समीकरणों को साध रही है, अब इन सबके नतीजे के लिए 2025 के विधानसभा चुनाव परिणाम का इंतजार करना होगा. 

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