This Article is From Jun 24, 2022

इस्तीफा देना चाहते थे भावुक उद्धव, लेकिन शरद पवार ने दी यह सलाह...

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Swati Chaturvedi

जिस शिवसेना की स्थापना और नेतृत्व ठाकरे परिवार ने की थी वो अब शिंदेसेना में बदल गई है. जाहिर है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे का विधायकों और राजनीतिक राजधानी पर पकड़ कमजोर होती जा रही है. "ठाकरे सेना" अब एकल अंकों में सिमट गई है.

उद्धव ठाकरे के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे ने भाजपा की भारी मदद से अपने पक्ष में संख्या बढ़ा ली है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सत्ता में दावा करने के किसी भी कदम को उठाने से पहले  भाजपा के मुख्य रणनीतिकार, अमित शाह के साथ अंतिम दौर के परामर्श के लिए गुरुवार देर रात दिल्ली पहुंचे थे.

उद्धव ठाकरे अपनी ही सेना द्वारा अलग-थलग कर दिए गए हैं. फिलहाल, अपने पारिवारिक घर मातोश्री में उनके साथ सिर्फ बेटा आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सांसद संजय राउत हैं. खुद को शर्मसार होने से बचाने के लिए उन्हें शिवसेना के विधायकों के साथ कई बैठकें रद्द करनी पड़ीं. छोटे छोटे जत्थों में विधायक दूसरी पार्टी के लिए बगावत के ग्राउंड जीरो गुवाहाटी के पांच सितारा होटल में डेरा जमाए हुए हैं.

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सियासी गलियारों में अजीबो-गरीब साजिश के सिद्धांत चल रहे हैं. कुछ नेताओं ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे विद्रोहियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे क्योंकि वह अपनी ही सरकार को गिराकर, भाजपा के साथ "युति" में फिर से शामिल होना चाहते थे. दूसरों ने शरद पवार को दोषी ठहराया और कहा कि उन्होंने हमेशा भाजपा की मदद की है क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनका रिश्ता “दोस्त-दुश्मन” जैसा है.

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उन्होंने दावा किया कि शरद पवार और मोदी संयुक्त रूप से शिवसेना और कांग्रेस को नष्ट करने के लिए काम कर रहे थे. उद्धव ठाकरे के आलिशान घर मातोश्री तक पहुंचते ही अफवाहें "तथ्य" बन गईं.

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कल टीम ठाकरे के लिए पूरी तरह से अव्यवस्थित दिन था. कई बार वो लड़खड़ाए और परस्पर विरोधी राजनीतिक संकेत भी भेजे. इसके बाद ही शरद पवार ने गठबंधन को अपने आधिकारिक स्टैंड की जानकारी दी. गौरतब है कि शरद पवार ने ही असंभव सा दिखने वाले MVA  गठबंधन को वजूद में लाया था.

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इससे पहले संजय राउत ने विधायकों को रोकने के लिए कहा कि अगर बागी गुट ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना में लौट आए, तो वे गठबंधन से बाहर हो जाएंगे. यही अब तक एकनाथ शिंदे की मुख्य सार्वजनिक मांग है. एकनाथ शिंदे के समीकरण का दूसरा हिस्सा जो अनकहा रह गया वो ये था कि भाजपा के साथ फिर से जुड़िए और जूनियर पार्टनर के रूप में रहिए.

संजय राउत की टिप्पणियों ने शिवसेना के गठबंधन सहयोगी कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी को नाराज कर दिया, जो सार्वजनिक रूप से उद्धव ठाकरे के साथ खड़ी थीं. अजीत पवार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश तो की लेकिन वो खुद उतना आश्वस्त नहीं हुए.

नाराज़ शरद पवार को अंत में हस्तक्षेप करना पड़ा. सबसे पहले  उन्होंने एकनाथ शिंदे के बागियों को संबोधित करने वाले एक वीडियो की ओर इशारा किया. इस वीडियों में एकनाथ शिंदे ने अंततः स्वीकार किया कि उन्हें एक "बड़े राष्ट्रीय राजनीतिक दल" से मदद मिली है और उन्होंने आश्वासन दिया कि डरने की कोई बात नहीं है. भाजपा की भूमिका की यह पहली सार्वजनिक स्वीकृति शरद पवार द्वारा उजागर की गई थी. जाहिर तौर पर शरद पवार काफी गुस्से में थे. शरद पवार ने यह भी कहा कि विधानसभा के पटल पर ही ये साबित किया जाना चाहिए कि किसके पास कितना ‘नम्बर' है. साथ ही शरद पवार को यह भी यकीन है कि एमवीए सरकार फ्लोर टेस्ट में पास हो जाएगी.

शरद पवार ने बीजेपी द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की ओर इशारा करते हुए कहा, "ढाई साल से वे हमारे साथ थे और अब वे हिंदुत्व के बारे में सोच रहे हैं."

शरद पवार की पार्टी के दो नेता, अनिल देशमुख और मंत्री नवाब मलिक, प्रवर्तन निदेशालय के भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर जेल में हैं और ठाकरे के करीबी अनिल परब से एजेंसी द्वारा हर दिन घंटों पूछताछ की जा रही है.

फ्लोर टेस्ट पर शरद पवार के शब्द महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विधानसभा में डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल उनकी पार्टी एनसीपी से हैं. वे अध्यक्ष की भूमिका ग्रहण करेंगे. जिरवाल ने घोषणा की कि उन्होंने एकनाथ शिंदे के स्थान पर अजय चौधरी को सदन में शिवसेना समूह के नेता के रूप में मंजूरी दे दी है. कोई भी शक्ति परीक्षण उनके द्वारा ही किया जाएगा. यहां तक कि एकनाथ शिंदे को भी उनसे संपर्क करना होगा यदि वे असली सेना होने का दावा करते हुए सदन में जाने का फैसला करते हैं.

उद्धव ठाकरे के लिए शरद पवार की कुछ निजी सलाह भी थी. उन्होंने उनसे कहा कि मोदी-शाह के राजनीति के युग में इतना संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है और अपनी भावनाओं के साथ आगे बढ़ते रहें. भावुक उद्धव ठाकरे ने उनसे कहा कि वह पद छोड़ना चाहते हैं लेकिन शरद पवार ने काफी मजबूती से इसके खिलाफ सलाह दी.

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.