'आज से तुम्हारे लिए मर गए चाचा...' ऐसे शुरू हुआ था चिराग और पशुपति पारस के बीच टकराव

बिहार की राजनीति में कभी सत्ता का रास्ता दिखाने वाली लोक जनशक्ति पार्टी अब दो फाड़ हो चुकी है. चाचा भतीजे के बीच में पैदा हुआ मनमुटाव वक्त के साथ इतना बढ़ गया कि अब राहें अलग अलग हो चुकी हैं.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
'चाचा-भतीजे' का विवाद बना चिराग पासवान की पार्टी LJP के पतन का कारण
नई दिल्ली:

बिहार की राजनीति में कभी सत्ता की चाभी रखने वाली लोक जनशक्ति पार्टी अब दो फाड़ हो चुकी है. चाचा-भतीजे के बीच में पैदा हुआ मनमुटाव वक्त के साथ इतना बढ़ गया कि अब दोनों की राहें अलग-अलग हो चुकी हैं. पार्टी में जो कुछ आज हो रहा है उसके संकेत पहली बार पिछले साल उस वक्त सामने आए थे जब चिराग ने सार्वजनिक तौर पर चाचा पशुपति कुमार पारस के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर दी थी. 

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के भाई और चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस हमेशा लो प्रोफाइल और पर्दे के पीछे रहने वाले ही रहे. सूत्र बताते हैं कि जैसे ही पार्टी की कमान बेटे चिराग के हाथों में आईं चीजें तेजी से बदलने लगीं. स्थितियां ऐसी परिवर्तित हो गईं कि हाजीपुर के सांसद और रामविलास पासवान के दाहिने हाथ कहे जाने वाले पारस ने ही पार्टी में तख्ता पलट कर दिया. उनके समेत पांच सांसद लोकसभा स्पीकर के पास पहुंच गए और सदन में एक अलग दल की मान्यता देने की बात कह दी. 

रामविलास पासवान के निधन के चार दिनों के बाद और बिहार चुनावों से पहले पारस द्वारा नीतीश कुमार की तारीफ करना चिराग पासवान को नाराज कर गया था. गुस्साए चिराग ने चाचा को पार्टी से निकालने तक की धमकी दे दी थी और उन्हें परिवार के नहीं होने तक की बात कह दी थी. इसके जवाब में पारस ने भी कहा था कि आज से तुम्हारे लिए तुम्हारे चाचा मर गए. इस संवाद के बाद चाचा-भतीजे के बीच मुश्किल से ही बात होती थी, चिट्ठियों में तनाव का ऐहसास किया जा सकता था. 

Advertisement

सूत्रों के अनुसार पशुपति पारस बिहार विधानसभा चुनावों में कभी भी एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने या बीजेपी-जेडीयू के खिलाफ एलजेपी के उम्मीदवार खड़े करने के पक्ष में नहीं थे. पारस के करीबी बताते हैं कि जब चुनाव की तैयारियों के दौरान भतीजे ने चाचा से पार्टी के उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा करना जरूरी नहीं समझा तो वह खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे थे.  

Advertisement

नवंबर के चुनावों में लोजपा की एकमात्र उपलब्धि यह थी कि वह जेडीयू का वोट विभाजित करने में कामयाब रही थी. जिसका असर ये हुआ कि जेडीयू चुनावों में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी और लोजपा के खाते में मात्र एक सीट आई थी. चुनाव में मिली हार की हताशा के बाद पार्टी नेताओं को चिराग के अंदर एक बेहद जिद्दी और अभिमानी नेता दिखाई देने लगा. हालांकि कुछ नेता उनके काम करने के अंदाज में रामविलास पासवान की शैली देखा करते हैं. लोजपा का संकट उस वक्त और बढ़ गया जब हाजीपुर से पहली बार सांसद बने पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने का वादा किया गया. 

Advertisement

सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार पहले से ही इस मिशन पर काम कर रहे थे, उनके करीबी लेफ्टिनेंट लल्लन सिंह दिल्ली में बैठकर इसका ताना-बाना तैयार कर रहे थे. बागियों में चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज, चदंन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं. इन सभी ने पारस पाले में रहने का फैसला किया है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Mohan Bhagwat के बयान के बाद मंदिर-मस्जिद विवादों पर लगेगी रोक? | Yogi Adityanath | Sambhal |Muqabla