दुनिया का सबसे ऊंचा दुर्गा मंदिर बिहार में, मुगलों के आतंक के बीच सैकड़ों साल पहले हुआ था स्थापित

मुगल काल में राजपूत परिवारों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. यह राजपूत जाति के लोगों के लिए कुल देवी के रूप में पूजा जाता है.

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सिद्ध पीठ दुर्गा मंदिर
Bihar:

दुनिया के मठ मंदिरो का अपना इतिहास रहा है जहां श्रद्धालु उन मंदिरों की महिमा को जान कर अपना सर नवाने पहुंचते हैं. दुर्गा पूजा के मौके पर आस्था के एक ऐसा ही केंद्र की चर्चा लाजमी है. जिसे लोग दुनिया के सबसे ऊंचा दुर्गा मंदिर के नाम से जानते है. बिहार के बेगूसराय में मौजूद यह मंदिर न सिर्फ अपनी भव्यता के लिए अपनी पहचान दुनिया भर में रखता है. बल्कि यहां की महिमा जानकर श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लाता है. बेगूसराय के बीहट मे स्थापित दुनिया का सबसे ऊँचा यह दुर्गा मंदिर मुगल काल से ही स्थापित है.  

बताया जाता है कि मुगलों के आतंक के बीच सनातनियों द्वारा सैकड़ों वर्ष पहले स्थापित यह दुर्गा मंदिर न सिर्फ अपने भव्य स्वरुप के लिए जाना जाता है. बल्कि इस मंदिर की महिमा की भी खूब चर्चा होती है.

221 फीट ऊंचा है दुर्गा मंदिर

सिद्ध पीठ दुर्गा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस दुर्गा मंदिर के विषय में यह बताया जाता है की यह दुनिया का इकलौता सबसे ऊंचा दुर्गा मंदिर है. जिसकी लम्बाई 221 फ़ीट है. यहां के लोग बताते है की जिस समय मुगल सनातन धर्म पर अत्याचार कर रहे थे उस दौरान राजपूत परिवारों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. बाद के दिनों में इस मंदिर का स्थान बदला और इसकी भव्यता भी बदली.

मुगल काल में 7 साल में 10 करोड़ के खर्च से बना 

बताया जाता है की यह राजपूत जाति के लोगों के लिए कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. इसके निर्माण में कुल सात वर्ष लगा और मुगल काल में इसके निर्माण में लगभग दस करोड़ का खर्च आया. यहां के लोग बताते है की हम लोगों के पास व्यक्ति गत रूप से दिखाने के लिए बहुत कुछ था पर गांव के स्तर पर आने वाले लोगों को दिखाने के लिए कुछ नहीं था. इसलिए बीहट और माल्हिपुर के लोगों ने मिलकर इसे ऐतिहासिक मंदिर बनाया. आज हम लोग गर्व से कह सकते है की हमारे गावं मे दुनिया का सबसे ऊंचा दुर्गा मंदिर है. 

मुगल कालीन इतिहास को अपने अंदर समेटे इस मंदिर के विषय में बताया जाता है की यहाँ मांगी गई मन की हर मुराद पूरी होती है. यह मंदिर पहले सिमरिया पुल के पास बना था जहां हर साल बाढ़ के कारण मंदिर छत्तीग्रस्त हो जाती थी. बाद में बीहट के ऊंचे डीह पर इसके निर्माण का फैसला बीहट और मल्लिहपुर के लोगों ने लिया. जिसके बाद लोगों के सौजन्य से सबसे ऊंचे दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया गया. शक्ति पीठ के रूप में यह विख्यात है. दुर्गा पूजा के मौके पर इस स्थान का न सिर्फ खास महत्व है बल्कि दुर्गा पूजा के मौके पर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. 

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