दुलारचंद यादव की मौत, अनंत सिंह नामजद अभियुक्त.. मोकामा की घटना का एनडीए पर पड़ेगा असर?

बिहार के मोकामा इलाके में दुलारचंद यादव की मौत के बाद सोशल मीडिया पर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. इस इलाके में बाहुबलियों को लेकर लोगों में गुस्सा है.

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अनंत सिंह और दुलारचंद यादव
पटना:

मोकमा टाल के बादशाह कहे जाने वाले दुलारचंद यादव की गोलीबारी में मौत के इस इलाके में बवाल मचा हुआ है. ठीक चुनाव के बीच हुई इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर घमासान मचा है. घटना के दौरान दोनों पक्ष के आपसी झड़प के बाद के वीडियो वायरल हैं. 

सोशल मीडिया पर जबरदस्त गुस्सा 

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोग अपनी राय रख रहे हैं. खासकर यादव समाज जबरदस्त ढंग से अपनी प्रतिक्रिया और श्रद्धांजलि दे रहा है.एक ओर एनडीए लालू यादव के दौर के जंगलराज की याद दिला रहा है. तो दूसरी तरफ जनसुराज के प्रत्याशी के समर्थनक दुलारचंद की हत्या कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है. दुलारचंद मोकामा और बाढ़ इलाके के बाहुबली माने जाते थे.  

एनडीए पर पड़ेगा असर?

लेकिन इस मौत का प्रभाव आसपास के कई क्षेत्रों में होने की संभावना है. फतुहा , बख्तियारपुर , बाढ़ , मोकामा , लखीसराय , सूर्यगढ़ा के साथ साथ बेगूसराय और बरबीघा इत्यादि क्षेत्रों में जनता की गोलबंदी किस तरफ होगी, अभी कहना मुश्किल है लेकिन अचानक से आया रोष एनडीए के खिलाफ महागठबंधन या जनसुराज दोनों तरफ जा सकता है. 

बाहुबलियों के खिलाफ गुस्सा 

सोशल मीडिया पर तेजस्वी से भी तीखे सवाल पूछे जा रहे हैं कि अगर अनंत सिंह पुराने बाहुबली हैं तो पिछले चुनाव में उन्हें लालटेन छाप का टिकट क्यों दिया गया. सूरजभान सिंह भी बाहुबली रहे हैं तो उनकी पत्नी को क्यों लालटेन छाप का टिकट इस बार मिला है?

किधर जाएगी जातीय गोलबंदी?

उत्तर बिहार, मगध या शाहाबाद में इस घटना का असर उतना नहीं होगा लेकिन पटना साहिब , मुंगेर , नालंदा और नवादा लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली विधानसभा क्षेत्र में इसका असर हो सकता है. खासकर धानुक वोट जो अभी तक नीतीश जी के समर्थक माने जाते रहे हैं. मोकामा के जन सुराज प्रत्याशी पीयूष जी बांका जिला के धानुक समाज से आते हैं और मोकामा में उनकी रणनीति धानुक, अति पिछड़ा के साथ यादव समर्थन की है क्योंकि पड़ोस के बाढ़ में भी लड़ाई यादव बनाम राजपूत की है. 

एनडीए के माथे पर शिकन 

एनडीए का सबसे बड़ा भय अति पिछड़ा वर्ग में सेंध का है. धानुक समाज कुर्मी समाज का ही अंग माना जाता रहा है और मोकामा में पिछले लोकसभा में मुंगेर के प्रत्याशी ललन बाबू पिछड़ गए थे क्योंकि अशोक महतो का प्रभाव अपनी उम्मीदवार पत्नी के लिए था. लेकिन कुर्मी समाज के सबसे बड़े व्यक्तित्व नीतीश कुमार के लिए इस इलाके में बहुत श्रद्धा है. अब देखना है कि नीतीश कुमार के लिए श्रद्धा बरकरार रहता है या फिर इस मौत का असर एनडीए को वोटों पर पड़ता है. सभी राजनीतिक विश्लेषक हैरान हैं कि चुनाव पूर्व ऐसी घटना क्यों हुई ? एनडीए के माथे पर शिकन जरूर होगी. 
 

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