क्या इस बार किसी दलित को विधायक बना पाएंगे चिराग पासवान? 3 चुनाव से नहीं जीते दलित उम्मीदवार

2010 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने बिहार में दलित और महादलित की दो श्रेणियां बनाईं, इसका रामविलास पासवान ने काफी विरोध किया था. हालांकि नीतीश के इस कदम के बाद से लोजपा से कोई दलित विधायक नहीं बना.

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  • बिहार में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग बीस प्रतिशत है और चिराग पासवान इस समूह के प्रमुख नेता हैं.
  • 2005 में लोकजनशक्ति पार्टी से आखिरी बार दलित विधायक चुने गए थे, उसके बाद ऐसा नहीं हुआ.
  • 2010 के चुनाव में लोजपा ने राजद के साथ गठबंधन किया था और तीन सीटें जीतीं थीं.
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बिहार में अनुसूचित जाति की आबादी 20 फीसदी है. बिहार के नेताओं में चिराग पासवान इस जाति समूह के सबसे बड़े नेताओं में शुमार हैं. उनके पिता रामविलास पासवान ने 1983 में दलित सेना का गठन किया. बाद में उन्होंने लोकजनशक्ति पार्टी का भी बनाई. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि इसी लोजपा से 2005 में आखिरी बार कोई दलित विधायक बना, उसके बाद के चुनावों को लोजपा से कोई भी दलित विधायक नहीं हो पाया. 

2010 के चुनाव में लोजपा राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही थी. पार्टी ने 75 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन महज 3 सीटों पर जीत दर्ज की. भभुआ से डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, ठाकुरगंज से नौशाद आलम और अररिया से ज़ाकिर हुसैन चुनाव जीते थे. इस चुनाव में पशुपति पारस को गठबंधन की तरफ से उपमुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया गया था, लेकिन वे अलौली सीट से खुद भी चुनाव हार गए थे. 

2015 के चुनाव में लोजपा एनडीए का हिस्सा थी. पार्टी 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे 4.83% वोट आए थे. सिर्फ दो सीट पार्टी जीत पाई थी. लालगंज से राजकुमार साह चुनाव जीते थे और गोविंदगंज से राजू तिवारी को जीत मिली थी. महागठबंधन की लहर में एनडीए की करारी हार हुई थी और उसका असर लोजपा पर भी हुआ था. 

2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी एनडीए गठबंधन से बाहर आ गई. अकेले दम पर 135 सीटों पर चुनाव लड़ा. 110 सीटों पर जमानत जब्त हुई. पार्टी सिर्फ मटिहानी से चुनाव जीती. यहां राजकुमार सिंह चुनाव जीते, जो बाद में जदयू में शामिल हो गए. 

2005 में आखिरी बार बना था दलित विधायक

पार्टी से 2005 में पशुपति पारस, महेश्वर हजारी जैसे नेता चुनाव जीते. यह दोनों रामविलास पासवान के परिवार के ही थे. 2010 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने बिहार में दलित और महादलित की दो श्रेणियां बनाईं, इसका रामविलास पासवान ने काफी विरोध किया था. हालांकि नीतीश के इस कदम के बाद से लोजपा से कोई दलित विधायक नहीं बना. इस बार चिराग पासवान के लिए इस क्रम को तोड़ना भी एक चुनौती होगी.

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