बिहार की नीतीश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार का लाइसेंस देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसके बाद सियासत गरमा गई. विपक्ष का कहना है कि सरकार ने मान लिया है कि वह राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में असमर्थ है, इसलिए अब पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार लेने की छूट दी जा रही है ताकि वे अपनी सुरक्षा खुद कर सकें. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट की बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करते हुए यह निर्णय लिया.
पंचायत प्रतिनिधि जनहित में कार्य करते हैं और कई बार उन्हें जान-माल की धमकियां मिलती हैं, इसलिए उनके लिए हथियार का लाइसेंस देने की मांग की जा रही थी. जैसे ही सरकार ने यह फैसला किया, तेजस्वी यादव ने अपनी सभाओं में प्रतीक रूप से ‘कलम' बांटना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि नीतीश बाबू से बिहार संभल नहीं रहा है. भाजपा और जदयू की सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है. अब जब सरकार खुद को असमर्थ पा रही है, तो वह पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार थमाकर कह रही है– ‘अपनी रक्षा अब खुद करो.
तेजस्वी यादव के बयान पर जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने पलटवार करते हुए कहा कि तेजस्वी तरह-तरह के दावे करते रहते हैं. उनकी पार्टी की संस्कृति ‘लाठी में तेल पिलाने' और ‘लड्डू जैसे केक को तलवार से काटने' की रही है. ऐसे में उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता. वहीं, तेजस्वी के "हथियार के बदले कलम" अभियान पर भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा कि जब-जब राजद सत्ता में रही है, तब-तब अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को राजनीतिक संरक्षण मिला है. आज तेजस्वी यादव ‘कलम' बांटने का नाटक कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है.उधर, बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. स्नेहाशीष वर्धन पाण्डेय ने कहा कि राहुल गांधी के बाद अगर कोई नेता युवाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित कर रहा है, तो वह तेजस्वी यादव हैं. ‘कलम' बांटना प्रतीक है उस सोच का, जो युवाओं को भविष्य की ओर ले जाना चाहती है.