बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के प्रोफेसर बनने पर संकट के बादल छा गए हैं. शिक्षा विभाग ने उनके आवेदन में कमी पाई है. विभाग ने उनकी फाइल को यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन को भेज दिया है. यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन अब इसकी जांच करेगा. जांच के बाद ही यह साफ होगा कि वे प्रोफेसर बन पाएंगे या नहीं. शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह माना कि मंत्री अशोक चौधरी की फाइल में कमियां पाई गई हैं, इसलिए उनकी नियुक्ति रुकी है.
दो अलग - अलग नाम के वजह से अटकी नियुक्ति?
शिक्षा मंत्री ने यह नहीं बताया कि विभाग को क्या कमी मिली है लेकिन सूत्रों के हवाले से पता चला है कि दो अलग - अलग नाम इसकी वजह हो सकते हैं. दरअसल, मंत्री अशोक चौधरी के शैक्षणिक दस्तावेजों में उनका नाम अशोक कुमार है और चुनावी हलफनामे में उनका नाम अशोक चौधरी है. सूत्रों की मानें तो यह उनकी नियुक्ति अटकने का कारण हो सकती है.
जून में आए थे परिणाम
मंत्री अशोक चौधरी उन 274 कैंडिडेट में से थे जिन्होंने पॉलिटिकल साइंस के एसिस्टेंट प्रोफेसर के लिए इंटरव्यू पास किया था. इसके लिए 2020 में विज्ञापन निकला था लेकिन अंतिम परिणाम 2025 में जारी हुए. जून में परिणाम जारी होने के 6 महीने बाद भी कैंडिडेट को कॉलेज अलॉट नहीं किया गया था. सूत्र बताते हैं कि अशोक चौधरी के मामले की जांच के कारण ही इस प्रक्रिया में देरी हुई.
तेजस्वी यादव ने उठाए थे सवाल, कांग्रेस ने कहा, "डिग्री फर्जी"
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अशोक चौधरी के चयन पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि आखिर मंत्री जी ने कब परीक्षा दी? उन्हें परिक्षा देते हुए किसने देखा? वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी उनके पीएचडी की डिग्री पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आखिर क्या वजह है कि उनकी नियुक्ति नहीं हो पाई? उनकी पीएचडी की डिग्री पर संदेह है. हमने इस पूरे मामले पर मंत्री अशोक चौधरी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. जैसे ही उनसे संपर्क होगा, हम उनका पक्ष भी यहां शामिल करेंगे.
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