भारतीय जनता पार्टी की कमजोर कड़ी क्यों रही है जातीय जनगणना?

बीजेपी सैद्धांतिक रूप से जातीय जनगणना के पक्ष में कभी नहीं रही, लेकिन हाल के दिनों में इस मुद्दे पर आधे मन से समर्थन करना बीजेपी की मजबूरी रही है

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बिहार के बीजेपी नेता और सांसद सुशील मोदी (फाइल फोटो).
पटना:

जातीय जनगणना भारतीय जनता पार्टी की कमजोर कड़ी रही है. पार्टी सैद्धांतिक रूप से इसके पक्ष में कभी नहीं रही, लेकिन हाल के दिनों में इस मुद्दे पर विपक्षी हो या सहयोगी, आधे मन से समर्थन करना बीजेपी की मजबूरी रही है. पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की मुलाक़ात के बाद अब जैसे ही खबर आई कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर फिर सर्वदलीय बैठक कराएगी, तो भाजपा के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर सफ़ाई दे रहे हैं. हालांकि उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद इस मुद्दे पर मौन धारण करे हुए हैं. 

उधर, वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एक बयान में कहा कि बीजेपी कभी जातीय जनगणना के विरुद्ध नहीं रही, इसलिए इस मुद्दे पर बिहार विधानसभा और विधान परिषद से दो बार पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव में बीजेपी भी शामिल रही. उनके अनुसार जब इस मांग को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गया, तब उसमें बिहार से वरिष्ठ मंत्री जनक राम शामिल थे. झारखंड का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री से मिला तो प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी उसमें शामिल हुए. 

हालांकि सुशील मोदी के अनुसार केंद्र सरकार ने सबकी राय पर सम्मानपूर्वक विचार करने के बाद व्यावहारिक कारणों से जातीय जनगणना कराने में असमर्थता प्रकट की है. उनके अनुसार जातीय जनगणना कराने पर देश में वर्षों से शीर्ष स्तर पर चिंतन-मनन जारी है. 

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मोदी ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान 2010 में जब इस विषय पर लोकसभा में चर्चा हुई थी, तब बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने प्रस्ताव का समर्थन किया था. जातीय जनगणना पर बीजेपी का अभिमत संसद और विधानमंडल की कार्यवाही के रिकार्ड पर है. तेलंगाना ने 2014 और कर्नाटक ने 2015 में जातीय जनगणना कराई थी, जिसका बीजेपी ने कभी विरोध नहीं किया.

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उन्होंने कहा कि जब उड़ीसा विधानसभा ने जातीय जनगणना कराने के पक्ष में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया, तब वहां भी बीजेपी ने इसका समर्थन किया. पार्टी के रुख में प्रमाणिक निरंतरता के बावजूद यदि कोई हमें जातीय जनगणना का विरोधी बताता है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. 

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वहीं मंगलवार को जब स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से इस मुद्दे पर पूछा गया तो वे काफ़ी असहज दिखे. उन्होंने सवाल कि सर्वदलीय बैठक में शामिल होंगे या नहीं, का जवाब टालते हुए कहा कि उप मुख्यमंत्री के ऊपर इसका जवाब देने की जिम्मेदारी है.

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इस बीच विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि अब सर्वदलीय बैठक की तिथि की घोषणा हो जाएगी. यादव की पदयात्रा की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मुलाक़ात कर इस मुद्दे पर जल्द अगला कदम उठाने का वादा किया था.

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