- बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची के रिवीजन के खिलाफ इंडिया गठबंधन ने विरोध जताया.
- इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग से निर्णय पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है.
- कांग्रेस ने आयोग के फैसले को जानबूझकर मतदाताओं का नाम हटाने का उपाय बताया.
- आरजेडी ने भी आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है.
बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची के रिवीजन के चुनाव आयोग के फ़ैसले का विरोध हो रहा है. इंडिया गठबंधन ने आयोग से उस फ़ैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है. सूत्रों के मुताबिक़ इस मुद्दे पर इंडिया गठबंधन जल्द चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटा सकता है. महाराष्ट्र चुनाव में मतदाता सूची का मुद्दा पहले से ही गरम है. अब बिहार की राजनीति भी इस पर गरमाती जा रही है. इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग के फ़ैसले का विरोध किया है और उस पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है.
कांग्रेस ने क्या कहा
कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा है कि आयोग ने मान लिया है कि मतदान सूची में गड़बड़ी है. आयोग का फ़ैसला जानबूझकर मतदाताओं का नाम हटाने के लिए किया गया है. पार्टी इस फ़ैसले का कड़ा विरोध करती है. आरजेडी ने भी इस फ़ैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है. आरजेडी सांसद मनोज झा ने इसे वोटरों के नाम काटने की कोशिश से जोड़ा है.
चुनाव आयोग क्या करेगा
टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयोग के फ़ैसले को एनआरसी के समान बताया है. इस साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होना है और आयोग ने उसके पहले राज्य में मतदाता सूची में विशेष रिवीजन का फ़ैसला किया है. इस फ़ैसले के तहत आयोग के अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं का वेरिफिकेशन करेंगे. जिन मतदाताओं के नाम सूची में जनवरी 2003 के बाद जोड़े गए हैं, उन्हें अपना जन्म प्रमाण पत्र पेश करना होगा.
चुनाव आयोग से रोक लगाने की मांग
एनडीए गठबंधन ने आयोग के काम को सामान्य प्रक्रिया बताते हुए इंडिया गठबंधन पर हार स्वीकार करने का आरोप लगाया है. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने चुनाव आयोग के इस पहल का स्वागत किया है और विपक्ष पर नाहक इसे तूल देने का आरोप लगाया है. वहीं इस मुद्दे पर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की जल्द बैठक होने की संभावना है. गठबंधन उसके बाद चुनाव आयोग से मुलाक़ात कर इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग भी करेगा.