उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में अब होगी बहू की एंट्री की तैयारी! RLM के भीतर उठने लगे बगावती सुर

आपको बता दें कि RLM के अंदर पहले से ही नाराज़गी की चर्चाएं चल रही थीं. इसी बीच,24 तारीख को RLM के तीन विधायकों ने भाजपा के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन से मुलाकात की थी , उसके बाद यह सभी विधायक उपेंद्र कुशवाहा की लिट्टी पार्टी में भी नहीं गए.

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उपेंद्र कुशवाहा अब अपनी बहू को राजनीति में लाने की तैयारी में
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  • उपेंद्र कुशवाहा पर अपनी बहू साक्षी मिश्रा को राज्य नागरिक परिषद उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त कराने के आरोप लगे हैं
  • विधायकों ने पार्टी छोड़ने की अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि वे RLM और NDA के साथ बने रहेंगे
  • उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया रिपोर्ट्स को साजिश बताते हुए आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है
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पटना:

बिहार की राजनीति में उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार वजह है राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में परिवारवाद को लेकर उठता विवाद. बेटे को मंत्री बनवाने और पत्नी की सक्रिय राजनीतिक भूमिका के बाद अब पार्टी प्रमुख पर अपनी बहू साक्षी मिश्रा को अहम पद पर बैठाने की तैयारी के आरोप लग रहे हैं. इस चर्चा ने न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि RLM के भीतर भी असंतोष की आवाज़ें तेज होने लगी हैं.

क्या है पूरा मामला?

सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी बहू साक्षी मिश्रा के नाम का प्रस्ताव राज्य नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष पद के लिए भेजा है. यह पद हाल ही में खाली हुआ है.दरअसल,RLM नेता माधव आनंद अब विधायक बन चुके हैं. माधव आनंद को इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में मधुबनी सीट से RLM का उम्मीदवार बनाया गया था. चुनाव में उनकी जीत हुई,विधायक बनने के बाद राज्य नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष का पद रिक्त हो गया.अब चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा उसी खाली पद पर अपनी बहू साक्षी मिश्रा को “एडजस्ट” कराना चाहते हैं.

राज्य नागरिक परिषद क्या है और विवाद क्यों?

राज्य नागरिक परिषद किसी पार्टी की इकाई नहीं, बल्कि सरकारी ढांचे का हिस्सा है.इसका अध्यक्ष सामान्य रूप से मुख्यमंत्री होता है.उपाध्यक्ष और अन्य पद सरकार की सिफारिश पर तय होते हैं,इसमें किसी पार्टी अध्यक्ष की सीधी नियुक्ति प्रक्रिया नहीं होती. यही वजह है कि जब यह खबर सामने आई कि किसी पार्टी नेता ने अपने परिवार के सदस्य के नाम का प्रस्ताव भेजा है,तो इसे नैतिकता और परिवारवाद से जोड़कर देखा जाने लगा. 

पार्टी के भीतर क्यों उठे सवाल?

RLM के अंदर पहले से ही नाराज़गी की चर्चाएं चल रही थीं. इसी बीच,24 तारीख को RLM के तीन विधायकों ने भाजपा के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन से मुलाकात की थी , उसके बाद यह सभी विधायक उपेंद्र कुशवाहा की लिट्टी पार्टी में भी नहीं गए. उसके बाद से यह सभी विधायक दिल्ली में है. इस मुलाकात के बाद राजनीतिक हलकों में कयास लगने लगे कि क्या RLM में टूट होने वाली है? क्या विधायक NDA के भीतर किसी नए समीकरण की तलाश में हैं? क्या पार्टी नेतृत्व से असंतोष बढ़ चुका है?

विधायकों की सफाई

हालांकि RLM विधायकों ने इन अटकलों को खारिज किया।RLM विधायक रमेश्वर महतो ने साफ शब्दों में कहा कि हम नितिन नवीन से मिलने गए थे और उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनने पर बधाई दी।वह बिहार सरकार में मंत्री थे और मैं बिहार विधानसभा का सदस्य हूं. हमारे अच्छे संबंध हैं।यह एक औपचारिक मुलाकात थी,इसे किसी और राजनीतिक अर्थ में नहीं देखा जाना चाहिए.विधायकों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी दूसरी पार्टी के संपर्क में नहीं हैं. वो हमेशा से ही RLM, NDA का हिस्सा हैं और वे पार्टी में ही बने रहेंगे.लेकिन इन सब के बीच रामेश्वर महतो ने कहा की उपेंद्र कुशवाहा परिवार वाद के पोषक हो चुके हैं.

उपेंद्र कुशवाहा का तीखा पलटवार

इन तमाम खबरों पर खुद उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज करते हुए लिखा कि आज एक खबर देखने/पढ़ने को मिली मीडिया में, खबरें प्लांट करवाने और करने वाले को धन्यवाद.मजा आ गया. वाह भाई वाह! चलिए, किसी बहाने खबर ने सुर्खियां तो बटोरी. ऐसी फ़ालतू खबरें भी मीडिया में चलती/बिकती हैं. आश्चर्य है! कुशवाहा के इस बयान के बाद यह साफ हो गया कि वे इन आरोपों को पूरी तरह राजनीतिक साजिश मान रहे हैं.

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सियासी तस्वीर क्या कहती है?

हालांकि उपेंद्र कुशवाहा इन खबरों को “फ़ालतू” बता रहे हैं, लेकिन सियासी जानकार मानते हैं कि सवाल अब भी कायम हैं कि क्या RLM में फैसले परिवार के इर्द-गिर्द सिमटते जा रहे हैं? क्या बहू साक्षी मिश्रा के नाम का प्रस्ताव वास्तव में भेजा गया है? और क्या पार्टी के भीतर उभर रही नाराज़गी आने वाले दिनों में खुली बगावत का रूप ले सकती है? फिलहाल, यह पूरा मामला चर्चा के केंद्र में है।आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक अफवाह है या फिर RLM के भीतर चल रही असंतोष की कहानी का संकेत. 

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