- बिहार के गयाजी रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ ने दून एक्सप्रेस के कोच से 48 जीवित कछुए बरामद किए।
- बरामद कछुओं को वन विभाग को सौंप दिया गया, जिनकी अनुमानित बाजार कीमत लगभग चौबीस लाख रुपये है।
- आरपीएफ ने हाल ही में झारखंड के साहेबगंज से नई दिल्ली फरक्का एक्सप्रेस से भी हजार से अधिक कछुए बरामद किए।
बिहार के गयाजी में RPF यानी रेलवे सुरक्षा बलों ने वन्यजीव तस्करी के एक बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया है.‘ऑपरेशन विलेप' के तहत की गई इस कार्रवाई में दून एक्सप्रेस के एक कोच से 48 जीवित कछुओं की बरामदगी की गई, जिन्हें सुरक्षित रूप से वन विभाग को सौंप दिया गया. आपको बता दें कि बीते दिनों भी नेताजी एक्सप्रेस और देहरादून एक्सप्रेस से कुल 178 कुछए बरामद किए गए थे. बिहार के गयाजी से पहले आरपीएफ ने झारखंड के साहेबगंज से भी एक दिन पहले ही आरपीएफ ने नई दिल्ली फरक्का एक्सप्रेस से भी 1000 से अधिक जीवित कछुए बरामद किए थे. इस मामले में आरपीएफ ने तीन तस्करों को भी गिरफ्तार किया था. पूछताछ में पता चला कि ये सभी कछुए वाराणसी (बनारस) से लाए जा रहे थे और इन्हें पश्चिम बंगाल में सप्लाई किया जाना था.
कोच की जांच में हुआ खुलासा
आरपीएफ की टीम के गश्त के दौरान रात लगभग 22:25 बजे प्लेटफार्म संख्या-02 पर खड़ी गाड़ी संख्या 13010 डाउन दून एक्सप्रेस के कोच एस-7 की जांच की गई. इस दौरान कोच में रखे दो प्लास्टिक के बोरे (एक सफेद और एक पीले रंग का) संदिग्ध अवस्था में पाए गए. जब बोरे खोले गए तो उनमें कुल 48 जीवित कछुए मिले.
आरपीएफ द्वारा आसपास बैठे यात्रियों से पूछताछ की गई, लेकिन किसी भी यात्री ने उक्त बोरे अथवा कछुओं पर अपना दावा नहीं किया. चूंकि कछुआ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत संरक्षित और अमूल्य जीव है, इसलिए आरपीएफ ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी कछुओं को बरामद कर लिया.
वन विभाग को सौंपे गए कछुए
बरामद कछुओं को बोरे सहित रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट गया लाया गया और इसकी सूचना गयाजी वन विभाग को दी गई. इसके बाद रेंज अधिकारी आरती कुमारी को सभी 48 जीवित कछुए सही-सलामत सौंप दिए गए. आपको बता दें कि इन कछुओं की अनुमानित बाजार कीमत लगभग 24 लाख रुपये आंकी गई है.
इस सफल कार्रवाई से वन्यजीव तस्करों में हड़कंप मच गया है और सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता एक बार फिर साबित हुई. उल्लेखनीय है कि बीते दिनों आरपीएफ की बड़ी कार्रवाई में नेताजी एक्सप्रेस और देहरादून एक्सप्रेस से 178 कछुआ बरामद हुए इस मामले में अज्ञात तस्करों के विरोध प्राथमिक की दर्ज की गई थी.
कछुओं की तस्करी एक जुर्म है
आपको बता दें कि वन्यजीवों की तस्करी करना एक कानूनन जुर्म है. इसके लिए वन्य जीवसंरक्षण अधिनियम 1972 में भारतीय जीव जंतु की तस्वीर या उन्हें रखना अपराध है. ऐसे करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है. कछुओं को पकड़ने पर सात साल की सजा तक हो सकती है.













