बिहार चुनाव: गौरा बौराम सीट पर लालटेन के खिलाफ प्रचार करेंगे तेजस्वी यादव? जानिए पूरा मामला

राजद ने निर्वाची पदाधिकारी को पत्र लिखकर अपना उम्मीदवार नहीं उतारने की बात की थी लेकिन तय नियमों के कारण यह अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया.

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  • महागठबंधन में सीट बंटवारे में विवाद के कारण गौरा बौराम सीट पर राजद और VIP दोनों के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे
  • राजद ने गौरा बौराम सीट को अपनी आधिकारिक सूची में शामिल नहीं किया और उम्मीदवार को अपना नहीं माना है
  • राजद के उम्मीदवार अफजल अली ने नामांकन वापस नहीं लिया इसलिए चुनाव आयोग ने उन्हें राजद का अधिकृत उम्मीदवार माना
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पटना:

महागठबंधन में महा कन्फ्यूजन का सबसे अजीब असर गौरा बौराम की सीट पर हुआ है. आलम यह है कि तेजस्वी यादव को अपने ही पार्टी के चुनाव चिन्ह "लालटेन" के खिलाफ वोट मांगना होगा. गौड़ा बौराम में EVM पर लालटेन का निशान भी रहेगा और VIP का चुनाव चिन्ह नाव भी. VIP के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी यहां उम्मीदवार हैं. वहीं अफजल अली खान राजद के उम्मीदवार हैं. राजद ने जिन 143 सीटों की सूची आज जारी की है उनमें गौड़ा बौराम सीट शामिल नहीं है. यानी इस उम्मीदवार को राजद अपना उम्मीदवार नहीं मानता. ऐसे में सवाल है कि क्या यहां राजद के नेता "लालटेन" के खिलाफ प्रचार करेंगे.

पूरा मामला समझिए

दरअसल, जब महागठबंधन में सीट बंटवारा फाइनल नहीं हुआ था तो सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों को सिंबल दे रही थी. इसी दौरान गौड़ा बौराम सीट से राष्ट्रीय जनता दल ने अफजल अली को सिंबल दे दिया. अफजल अली सिंबल लेकर गौड़ा बौराम पहुंचे तब तक राजद और VIP की बात बन गई. समझौते में गौरा बौराम की सीट VIP के खाते में गई. लेकिन राजद के उम्मीदवार ने सिंबल लौटाने से मना कर दिया. उन्होंने राजद के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया और नामांकन वापस नहीं लिया. इसलिए उन्हें अब राजद का अधिकृत उम्मीदवार माना गया और लालटेन चुनाव चिन्ह दिया गया है.

राजद ने निर्वाची पदाधिकारी को पत्र लिखकर अपना उम्मीदवार नहीं उतारने की बात की थी लेकिन तय नियमों के कारण यह अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया. इसलिए अब संतोष सहनी वहां महागठबंधन के अधिकृत उम्मीदवार हैं और अफजल अली राजद के अधिकृत उम्मीदवार. भले ही पार्टी उन्हें समर्थन न दे लेकिन तकनीकी तौर पर वे राजद के उम्मीदवार ही माने जाएंगे.

लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान में भी हुआ था ऐसा मामला

लोकसभा चुनाव में राजस्थान की बांसवाड़ा सीट पर भी ऐसा ही मामला आया था. कांग्रेस ने इस सीट पर पहले अरविंद डामोर को अपना उम्मीदवार बनाया था. बाद में पार्टी ने भारत आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार राजकुमार रोत को समर्थन देने का फैसला किया और अरविंद से सिंबल वापस मांगा. अरविंद से सिंबल देने से इनकार किया और वे गायब हो गए. नामांकन वापस लेने की तारीख बीतने के बाद वापस आए. ऐसे में उस सीट पर कांग्रेस के नेताओं के हाथ के खिलाफ प्रचार किया. अरविंद डामोर को 61 हजार वोट मिल गए थे. हालांकि कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार की जीत हो गई थी.

लालटेन चिन्ह नहीं हटने पर बिफरे संतोष सहनी

VIP के उम्मीदवार ने निर्वाची पदाधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राजद की चिट्ठी के बावजूद लालटेन का सिंबल नहीं हटाया जाना गलत है. हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जायेंगे. इस सीट पर राजद चुनाव लड़ते रहा है. ऐसे में EVM पर चुनाव चिन्ह रहना महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है.

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