"य‍ह वाल्मीकि, शबरी, केवट और लव-कुश का भी अपमान" : श्रीराम को काल्पनिक बताने के बयान की सुशील मोदी ने की निंदा

सुशील कुमार मोदी ने कहा, 'श्रीराम ऐसे विराट व्यक्तित्व थे कि उनके जीवन से भारत ही नहीं, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया सहित कई देशों की संस्कृति प्रभावित हुईं.'

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सुशील मोदी ने कहा, 'श्रीराम भारतीय संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं
पटना:

Bihar News: बिहार के बीजेपी नेता और राज्‍यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi)ने भगवान राम को काल्‍पनिक पात्र बताने के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बयान की कड़े शब्‍दों में आलोचना की है. जीतनराम के नाम का जिक्र किए बगैर सुशील मोदी ने मामले को लेकर कई ट्वीट किए हैं. उन्‍होंने कहा, 'श्रीराम को काल्पनिक बताना वाल्मीकि, शबरी, केवट और लव-कुश का भी अपमान है और राजनीतिक स्वार्थ के लिए पुरखों पर सवाल उठाना उचित नहीं है.'बिहार के पूर्व डिप्‍टी सीएम मोदी ने कहा, 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं. उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में, जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं कोआहत नहीं करना चाहिए. जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिए है, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए.

 

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सुशील कुमार मोदी ने कहा, 'श्रीराम ऐसे विराट व्यक्तित्व थे कि उनके जीवन से भारत ही नहीं, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया सहित कई देशों की संस्कृति प्रभावित हुईं. जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं. यह कहना हास्यास्पद ही है कि कोई स्वयं को शबरी का पुत्र बताये, लेकिन माता शबरी ने जिनकी भक्ति से संत समाज में अक्षय कीर्ति पाई, उस महानायक श्रीराम को ही काल्पनिक बता दे. आस्था पर चोट और समाज को बाँटने की ऐसी ओछी राजनीति कभी सफल नहीं होगी.'

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गौरतलब है कि बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी(Jitan Ram Manjhi) विवादित बयान को लेकर चर्चा में हैं. जमुई जिले के सिकंदरा में भीमराव अंबेडकर जयंती में शामिल होने आए मांझी ने लोगों को संबोधित करते हुए भगवान राम पर ही सवाल उठा दिए थे. उन्होंने कहा था कि राम कोई भगवान नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह रामायण लिखने वाले वाल्मीकि और तुलसीदास को मानते हैं, पर राम को नहीं जानते. वे यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि राम भगवान थोड़े ही थे, वे तो तुलसीदास और वाल्मीकि रामायण के पात्र थे. उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पूजा पाठ करने से कोई बड़ा नहीं होता. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों को पूजा-पाठ बंद कर देना चाहिए.

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